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Sanatan Dharam : सनातन धर्म में क्या है पूजा का महत्व, जानें नियम

Sanatan Dharam : सनातन धर्म में पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है. इसे धार्मिकता के साथ-साथ आध्यात्मिक एवं सामाजिक अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है. पूजा ध्यान, समर्पण, और आदर्शों को बढ़ावा देती है, जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास और भक्ति में वृद्धि होती है.

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Inna Khosla
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What is the importance of worship in sanatan dharma know the rules

Sanatan Dharam( Photo Credit : Social Media )

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Sanatan Dharam : सनातन धर्म में पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है. इसे धार्मिकता के साथ-साथ आध्यात्मिक एवं सामाजिक अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है. पूजा ध्यान, समर्पण, और आदर्शों को बढ़ावा देती है, जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास और भक्ति में वृद्धि होती है. पूजा में समर्पण की भावना व्यक्ति को आत्मा के साथ संवाद में ले जाती है. पूजा के दौरान ध्यान और मनन की अभ्यास की जाती है, जो आत्मा को शांति और सुख देता है. सनातन धर्म के अनुसार पूजा में समर्पण की भावना आत्मा को धर्मिक साधना के माध्यम से प्राप्त होती है. पूजा के माध्यम से परम्परागत सम्प्रदायों और परिवार में समर्पण की भावना का प्रचार होता है, जो सामाजिक संबंधों को संबोधित करता है. पूजा व्यक्ति को आध्यात्मिक सामर्थ्य का विकास करती है, जो उसे जीवन के समस्याओं को सामना करने में मदद करता है. पूजा में निरंतरता से समर्पण की भावना व्यक्ति की धर्मनिष्ठा को बढ़ाती है और उसका आत्मविश्वास मजबूत करती है.

सनातन धर्म में पूजा के नियम:

शुभ समय चयन: पूजा का समय शुभ और सात्विक होता है. सूर्योदय या सूर्यास्त के समय पूजा का अधिक प्रशंसा मिलता है.

शुद्धि से पूजा: पूजा के लिए शुद्धि रखना महत्वपूर्ण है। स्नान करना, विशेषकर कुंडलीलाकरण, और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए.

पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को स्वच्छ और शुद्ध रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह धार्मिक एवं आध्यात्मिक अनुष्ठान की भावना को बढ़ावा देता है.

पूजा सामग्री का चयन: सामग्री का चयन धार्मिक एवं सात्विक भावनाओं के अनुसार करना चाहिए. तुलसी, धूप, दीप, फल, फूल इत्यादि का प्रयोग होता है.

मंत्रों का जाप: पूजा के समय विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह मानव को आत्मा के साथ जोड़ने में मदद करता है.

आरती और भजन: पूजा के दौरान आरती और भजनों का गाना अत्यंत शुभ होता है. यह भक्ति और प्रेम की भावना को बढ़ावा देता है.

दान और त्याग: पूजा का अभ्यास करते समय दान और त्याग का भाव बनाए रखना चाहिए. यह आत्मा की शुद्धि को बढ़ावा देता है.

उपास्य देवता का चयन: पूजा के लिए व्यक्ति को अपनी उपास्य देवता का चयन करना चाहिए. यह व्यक्ति को ध्यान और समर्पण में मदद करता है.

व्रत और उपवास: कई सनातन व्रत और उपवास हैं जो पूजा का हिस्सा होते हैं. इनसे व्यक्ति का आत्मविश्वास और साधना शक्ति मजबूत होती है.

ध्यान और ध्यान: पूजा के दौरान ध्यान और संवेदनशीलता बनाए रखना चाहिए. यह आत्मा के साथ संवाद में मदद करता है और ध्यान को स्थिर रखता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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