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Vastu Puja : क्या होती है वास्तु पूजा? गृहप्रवेश करते वक्त इन बातों का रखें खास ख्याल

Vastu Puja : वास्तु पूजा क्या होती है? इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं, लेकिन आज हम आपको उन खास बातों के बारे में बताएंगे, जिनका आप ख्याल रख सकते हैं...

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Sonam Gupta
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what is vastu puja

what is vastu puja ( Photo Credit : Social Media)

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Vastu Puja : वास्तु पूजा एक पौराणिक और सांस्कृतिक परंपरागत प्रथा है जो भारतीय संस्कृति में उपस्थित है. यह एक धार्मिक आचरण है जो घर, कार्यालय, व्यापारिक स्थल या किसी अन्य स्थान को शुभ और सकारात्मक ऊर्जा से युक्त करने के लिए किया जाता है. यह पूजा विभिन्न देवी-देवताओं, उनकी मूर्तियों या वास्तु पुरुष को समर्पित हो सकती है. गृहप्रवेश करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि आपका नया घर शुभ और सुरक्षित हो. गृहप्रवेश का कार्य किसी शुभ मुहूर्त में करना अच्छा होता है. ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ और अनुकूल मुहूर्त चयन करें. गृहप्रवेश से पहले नये घर को अच्छे से सफाई और शुद्धि का कार्य करें. गृहप्रवेश के समय पूजा और आराधना करना शुभ होता है। देवी-देवता की कृपा के लिए प्रार्थना करें. नए घर का नक्शा और योजना बनाएं ताकि सभी कमरे और स्थान अनुकूल हों. गृहप्रवेश के समय यज्ञोपवीत धारण करना शुभ होता है, जो शुभ ऊर्जा को आत्मसात करता है. नए घर के मुख्य द्वार की पूजा करना शुभ होता है. देवी-देवता की मूर्ति या स्वस्तिक को द्वार पर स्थापित करें. घर के अंदर के कोनों को भी साफ और सुंदर रखने का प्रयास करें. कोनों में पौधों या फूलों को रखना भी शुभ होता है. नए घर में गृह देवता की स्थापना करें और उन्हें नियमित रूप से पूजन करें. गृहप्रवेश के समय अपने सामान को सुरक्षित रखने के लिए एक अलग से शिफ्टिंग ट्रांक बनाएं और ध्यानपूर्वक सामान को स्थानांतरित करें. गृहप्रवेश के समय नए पड़ोसीयों और साथीगों का आदर्श स्वागत करें ताकि एक सामूहिक और सजीव समुदाय की भावना बनी रहे. 

वास्तु पूजा

शुभारंभ: वास्तु पूजा का शुभारंभ विशेष मुहूर्त में किया जाता है, जिसमें पंडित या धार्मिक आचार्य उपस्थित हो सकते हैं. 

शुद्धि करना: पूजा करने से पहले स्थान को शुद्ध करने के लिए पानी से स्थान को सफा किया जाता है.

यज्ञोपवीत धारण करना: पूजा करने वाले को यज्ञोपवीत धारित करना होता है, जिससे पूजन का सकारात्मक परिणाम होता है. 

अग्नि पूजन: पूजा की शुरुआत अग्नि पूजन के साथ होती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है. 

देवी-देवता की पूजा: वास्तु पूजा में घर के मुख्य द्वार पर स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा की जाती है. 

वास्तु यंत्र और मंत्र: वास्तु पूजा में विशेष वास्तु यंत्र और मंत्रों का उपयोग किया जा सकता है जो स्थान को शुभ बनाने का कारगर होता है. 

तिलक और कुंकुम: पूजा के दौरान विशेष रूप से तिलक और कुंकुम का उपयोग किया जाता है, जो शुभता और सकारात्मकता को बढ़ाता है. 

प्रार्थना और आराधना: पूजा के दौरान प्रार्थना और आराधना की जाती है, जिससे स्थान को सकारात्मक ऊर्जा से भरा जा सकता है. 

वास्तु पूजा का मुख्य उद्देश्य स्थान को शुभ, सुरक्षित, और सकारात्मक बनाना होता है ताकि वहां रहने वाले लोग सुख-शांति में रह सकें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : Sports Desk

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