इस बार श्राद्ध 2 सितंबर से शुरू होने जा रहे हैं और यह लगातार 16 दिनों तक मनाए जाते हैं. यह समय हमारे पितरो को श्रद्धा सम्मान देने के लिए होता है. दुनिया के हर क्षेत्र में विभिन्न धर्मों के लोग किसी-न-किसी तरह से अपने पूर्वजों के नाम से कुछ-न-कुछ कार्य अवश्य करते है. हिन्दू धर्म में श्राद्धों के समय अपने पूर्वजों को तर्पण, पिंडदान एवं भोजन खिला कर श्राद्धों को मनाया जाता है. भादों या भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर क्वार या अश्विन मास की अमावस तक पितृ दोष के निवारण के लिए सबसे शुभ दिन माने हैं.
ये 16 दिन होते हैं और उन्हीं 16 दिनों को हम श्राद्ध बोलते हैं. ऐसे में श्राद्ध करना अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना परिवार के सभी सदस्यों के लिए बहुत शुभ होता है. यह दिन अपने पूर्वजों को सम्मान देने के लिए होते हैं. आप अपने पूर्वजों को श्रद्धा और सम्मान देकर अपने कल्याण खुद कर सकते हैं
ये उपाय करें
और कहा जाता है कि अगर आप पितृ दोष से पीड़ित हैं तो यह समय पितृ दोष मुक्ति के लिए सबसे अच्छा समय होता है और आप इस समय अपने पितरों के श्राद्ध कर अपने पितरों को प्रसन्न कर लेते हैं और आपके पितृ आपके घर को धन अन्न से भर देते हैं. श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा को पूर्णिमा श्राद्ध होता है.
पूर्णिमा के बाद प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या श्राद्ध आता है. इन तिथियों में चतुर्दशी और सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध प्रमुख माना जाता है. और यह दिन पितृ दोष मुक्ति के लिए अत्यंत लाभदायक है.
अब जानते हैं पितृ दोष है क्या? और यह हम जानेगे विश्वप्रसिद्ध गुरुदेव श्रीश्री पारस भाई जी से. इसके क्या लक्षण हैं और निवारण कैसे करें, जानिए यहां. जानिए श्री पारस भाई जी से पितृ दोष 2020 के इन श्राद्धों में अपने पितृ को खुश करने के लिए क्या करें.
वैसे पितृ दोष के उपचार को अगर आप श्राद्धों के समय पर करते हैं तो अच्छा होता है पर अगर आप श्राद्धों में यह कार्य नहीं कर पाए तो आप किसी भी माह एवं समय पर इस कार्य को कर सकते हैं, क्योंकि शुभ कार्य में कभी देरी नहीं करनी चाहिए.
पितृ दोष, जी हां पितृ दोष. वो दोष जिस दोष से लगभग हर व्यक्ति पीड़ित है, जिससे मुक्ति पाने के लिए वो न जाने कहां-कहां जाता है. कितने ही तरीके के उपचार करता है, लेकिन फिर भी वो इस उलझन से निकल नहीं पाता. यहां श्रीपारस भाई जी आपको बताएंगे कि पितृ दोष होता क्या है? इसके लक्षण क्या हैं और इसका निवारण क्या है
क्या होता है पितृ दोष.
श्री पारस भाई जी ने बताया कि पिता से पुत्र को या फिर हमारे पूर्वजों से भी यह दोष हमें मिल सकता है. इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है- भगवान राम, पितृ दोष की वजह से भगवान राम को 14 साल का वनवास हुआ, जब श्रवण कुमार अपने माता-पिता के लिए पानी भरने गए थे तो राजा दशरथ ने उन्हें बाण मार दिया था, जिससे श्रवण कुमार स्वर्ग सिधार जाते.
उस समय श्रवण कुमार के माता-पिता ने दशरथ को श्राप दिया कि जैसे हम पुत्र वियोग में तड़प-तड़पकर मर रहे हैं, वैसे ही आप भी पुत्र वियोग में प्राण त्यागेंगे. माना जाता है कि इसी श्राप की वजह से भगवान राम को 14 साल का वनवास हुआ और इस बीच पुत्र वियोग में राजा दशपथ ने प्राण त्याग दिए. श्री पारस भाई जी की मानें तो पितृ दोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आता है, कई ऐसे वंश और परिवार हैं जो पितृ दोष के कारण कभी आगे नहीं बढ़ पाते हैं.
पितृ दोष के लक्षण
असमय बालों का सफेद हो जाना पितृ दोष का एक लक्षण है, काम में रुकावट आना, आप खूब मेहनत करते हैं, मगर उसका काम नहीं बन रहा है तो ये भी पितृ दोष के लक्षण हैं. हर वक्त तनाव में रहना और संतान का न होना यानी वंश का नष्ट हो जाना यह सभी लक्षण पितृ दोष को दर्शाते हैं, यही लक्षण हमें आगे नहीं बढ़ने देते हैं.
निवारण
अगर उपचार श्राद्धों के समय किए जाए तो उत्तम होता है पर अगर श्राद्धों का समय निकल गया है तो हर महीने की अमावस्या वाले दिन भी पितृों को मनाने का अच्छा दिन होता है.
जो भी जातक पितृ दोष से पीड़ित हैं वो
- खाना बनाते वक्त रोटी या किसी भी चीज का पहला भाग अग्नि को डालें, इसके बाद गाय, कुत्ते और कौवे को खाने का थोड़ा सा भाग दे दें.
- जो व्यक्ति पितृ दोष से ज्यादा पीड़ित हैं, उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है तो वह हर गुरुवार को पीपल के पेड़ के पास जाएं और वहां पर अपने पितृों के नाम से 108 परिक्रमाएं करें, वो आपको नव ग्रहों की शांति से मिलती है.
- पितृ दोष के निवारण के लिए एक उपाय ये भी है कि अपने पूरे परिवार से पैसे इकट्ठे करके उस पैसे से अमावस्या वाले दिन किसी भी भूखे और गरीब को खाना खिला दें ऐसा करने से आपको पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है.
Source : News Nation Bureau