Ayudha Puja 2024 Date And Time: आयुध पूजा दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है. इसे शक्ति और साधनों की आराधना का पर्व भी कहा जाता है. आयुध पूजा का शाब्दिक अर्थ है आयुधों की पूजा, जिसमें युद्ध के उपकरण, शस्त्र, औजार, और जीवन में उपयोग होने वाले अलग-अलग साधनों का पूजन किया जाता है. यह पर्व कर्म, धर्म और जीवन में साधनों के महत्व को दर्शाता है और हमारे समर्पण, परिश्रम और साधनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है. प्राचीन काल से ही इस पूजा को वीरता, शक्ति और समृद्धि से जोड़ा गया है. महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में भी शस्त्रों की पूजा का उल्लेख मिलता है. भगवान राम ने रावण से युद्ध के पूर्व अपने शस्त्रों की पूजा की थी और महाभारत के योद्धा अर्जुन ने भी युद्ध से पहले आयुध पूजा की थी. यह पूजा कर्म और ज्ञान के समन्वय का प्रतीक है, जहां साधनों को ईश्वर के रूप में मानकर उनकी शक्ति का आदर किया जाता है.
आयुध पूजा मुहूर्त
इस साल आयुध पूजा की तिथि महानवमी से प्रारम्भ हो रही है. अक्टूबर 11, 2024 को 12:06 पी एम बजे से आयुध तिथि शुरू तो होगी लेकिन पंचांग के अनुसार अक्टूबर 12, 2024 को पूजा की जाएगी. क्योंकि ये तिथि इस दिन सुबह 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी.
- आयुध पूजा विजय मुहूर्त - 02:03 पी एम से 02:49 पी एम
उत्तर भारत में विजयादशमी शनिवार, अक्टूबर 12, 2024 को मनायी जाएगी. इसी दिन रावण दहन भी होगा.
- दसरा विजय मुहूर्त - 02:08 पी एम से 02:56 पी एम
मैसूर दशहरा रविवार, अक्टूबर 13, 2024 को मनाया जाएगा.
- मैसूर दसरा अपराह्न समय - 01:21 पी एम से 03:43 पी एम
आयुध पूजा की विधि
आयुध पूजा के दिन लोग अपने घरों, कार्यस्थलों, कारखानों, और दुकानों में उपयोग होने वाले औजारों और साधनों की सफाई करते हैं और उन्हें पूजा के लिए सजाते हैं. व्यापारी वर्ग अपने व्यापारिक उपकरण, जैसे कंप्यूटर, कलम, खाता-बही आदि की पूजा करते हैं जबकि किसान अपने कृषि उपकरणों और सैनिक अपने शस्त्रों का पूजन करते हैं.
सबसे पहले पूजन स्थल को अच्छे से साफ किया जाता है फिर वहां देवी-देवताओं की प्रतिमा या तस्वीर रखी जाती है. इसके बाद पूजा की जाती है जिसमें फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं. शस्त्रों और साधनों को नारियल, फूल, हल्दी, कुमकुम, और अक्षत चढ़ाकर पूजा की जाती है. पूजा के दौरान साधनों का आदर करते हुए उन्हें भगवान की शक्ति के रूप में माना जाता है. पूजा के अंत में प्रसाद वितरित किया जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)