Matsya Dwadashi 2024: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन मत्स्य द्वादशी का व्रत रखा जाता है. भगवान विष्णु के 12 अवतारों में से सबसे पहले अवतार मत्स्य की इस दिन विशेष पूजा होती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के संकट दूर होते हैं. परेशानियों से छुटकारा मिलता है और उनके हर कार्य सिद्ध होने लगते हैं. इस अवतार में भगवान ने मत्स्य (मछली) का रूप धारण कर वेदों की रक्षा की थी. यह अवतार धर्म की पुनर्स्थापना और पृथ्वी को प्रलय से बचाने का प्रतीक है. मत्स्य अवतार का उल्लेख श्रीमद्भागवत, महाभारत और विष्णु पुराण में मिलता है. इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप तो जरूर करना चाहिए.
मत्स्य अवतार के मंत्र
मूल मंत्र
ॐ मत्स्याय नमः
भगवान विष्णु के मत्स्य रूप की आराधना करने वाले इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है, पापों का नाश होता है, और शुभ फल की प्राप्ति होती है.
बीज मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीं मत्स्याय स्वाहा
इस बीज मंत्र के नियमित जाप से ध्यान और मन की एकाग्रता में वृद्धि होती है. यह मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है.
स्तुति मंत्र
शंखचक्रगदापाणे द्वारका निलयाच्युत.
गोविंद पुण्डरीकाक्ष रक्ष मां शरणागतम्॥
स्तुति मंत्र भगवान विष्णु की शरण में जाने में भक्त की मदद करता है. इसका जाप भय और संकटों से मुक्ति दिलाता है.
मत्स्य अवतार स्तुति
प्रलयार्णवमग्नं दैत्यजातं हताश्रयम्.
वेदानुद्धृत्य भगवान् मत्स्यरूपेण रक्षतु॥
मत्स्य अवतार स्तुति मंत्र प्रलय के संकटों से रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु का आह्वान करता है. इससे जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और संकटों का समाधान मिलता है.
इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों और वर्तमान जीवन के पाप समाप्त होते हैं. संकटों और बाधाओं का नाश होता है, और मनुष्य जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होता है. मंत्र जाप के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा मानसिक तनाव को कम करती है और एकाग्रता को बढ़ाती है. भगवान विष्णु के आशीर्वाद से जीवन में आर्थिक और सामाजिक उन्नति होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)