Rohini Vrat 2024: रोहिणी व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो भगवान विष्णु की भक्ति में मनाया जाता है. यह व्रत रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाया जाता है, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार आठवें और नवमी तिथियों के बीच में पड़ती है. इस दिन महिलाएं विशेष रूप से रोहिणी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखती हैं. रोहिणी व्रत का महत्व उन्हें भगवान विष्णु की कृपा, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करने में माना जाता है. इस व्रत को करने से मान्यता है कि व्यक्ति को संतान, स्वास्थ्य, और धन की प्राप्ति होती है. रोहिणी व्रत को विधिवत रूप से मनाने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और उनकी आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है. इस व्रत को नियमित रूप से करने से व्यक्ति का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है और उन्हें जीवन में सफलता मिलती है.
पूजा विधि:
व्रत: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान वासुपूज्य का ध्यान करें. "ॐ नमो वासुपूज्याय" मंत्र का जाप करें.
पूजन: षोडशोपचार पूजा विधि से भगवान वासुपूज्य का पूजन करें. दीप प्रज्वलित करें. फल, मिठाई, और पंचामृत का भोग लगाएं. भगवान वासुपूज्य की आरती करें.
कथा: रोहिणी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें.
दान: दान-पुण्य करें.
महत्व: यह व्रत भगवान वासुपूज्य को प्रसन्न करने का एक उत्तम अवसर है. इस व्रत को रखने से सुख, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है. भगवान वासुपूज्य को धन-धान्य और समृद्धि का देवता माना जाता है. इस व्रत को रखने से व्यक्ति को भगवान वासुपूज्य की कृपा प्राप्त होती है.
रोहिणी व्रत के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है. व्रतधारी को इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. व्रतधारी को इस दिन मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रतधारी को इस दिन दान-पुण्य करना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau