Magh Bihu Festival 2024: साल में 3 बिहू फेस्टिवल मनाए जाते हैं. साल 2024 का पहला बिहू 15 जनवरी को है जिसे माघ बिहू कहा जाता है. ये त्योहार पूरा एक सप्ताह जारी रहता है. किस बिहू का क्या धार्मिक महत्व है. बिहू की पौराणिक कथा क्या है, और इसे किस तरह के मनाया जाता है ये सारी जानकारी हम आपको दे रहे हैं. वैसे आपको बता दें कि इसका पौराणिक कारण असमीयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें बोहाग बिहू का सीधा संबंध माणिक्या असम राज्य के पौराणिक इतिहास से है. तो आइए जानते हैं बिहू से जुड़े इतिहास और धार्मिक महत्व के बारे में
बिहू की पौराणिक कथा:
भूमिहान-माणिक्या का जन्म:
पौराणिक कथा के अनुसार, राजधानी प्रागज्योतिषपुर में राजा धर्मपाल नामक एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम सुभद्रा था, जो बहुत योग्य और धार्मिक रानी थी. दोनों को विशेष रूप से देवी मनसा की अराधना का शौक था.
धर्मपाल और सुभद्रा का एक पुत्र था जिनका नाम महेष्वर था. महेष्वर ने अपनी पत्नी के साथ व्रत के दौरान विशेष रूप से देवी मनसा की पूजा की और उनसे आशीर्वाद मांगा. मनसा ने उनकी तपस्या को देखकर उन्हें वरदान देने का निर्णय किया.
मनसा का वरदान:
मनसा ने महेष्वर को एक विशेष वरदान दिया जिसमें उन्हें यह सुनिश्चित हुआ किया गया कि उनका वंश हमेशा समृद्धि और सुख के साथ जीता रहे. इसके बाद, उन्हें एक अद्वितीय और सुंदर पुत्र मिला जिसका नाम 'कुलाधर' था.
कुलाधर का जन्म:
महेष्वर और उनकी पत्नी ने अपने अद्भुत वरदान के लिए देवी मनसा की भक्ति का कृतज्ञता से व्यक्त किया और बहुत काल तक इसी व्रत को अपनाया. एक दिन, उन्हें एक सुंदर बच्चा हुआ जिसका नाम 'कुलाधर' रखा गया.
कुलाधर की अद्वितीयता:
कुलाधर विशेष रूप से बुद्धिमान और सांस्कृतिक गुणों से युक्त था। उसकी अद्वितीयता और सद्गुण देखकर लोग उसे विशेष भक्ति और आदर से देखते थे.
कुलाधर और बोहाग बिहू:
कुलाधर ने विशेष रूप से बोहाग बिहू के दौरान देवी मनसा की पूजा की और अपने बुद्धिमानी और आदर्श जीवन के कारण असम में प्रिय हो गए. लोग उसे देवी मनसा के अद्भुत आशीर्वाद का प्रतीक मानकर उसकी पूजा करने लगे.
बिहु का धार्मिक महत्व:
कृषि से जुड़ा त्योहार: बिहु असम का मुख्य पर्व है जो कृषि से जुड़ा होता है। यह रिथमिक त्योहार है जो असम के किसानों की मेहनत और खेती की शुभकामनाएं मनाता है.
तीन बिहु आवधान: बिहु को तीन प्रकार से मनाया जाता है - बोहाग बिहु (रंग-बिहु), काति बिहु (कृषि-बिहु), और माघ बिहु (शिशिर बिहु).
रंग-बिहु: बोहाग बिहु या रंग-बिहु विशेषकर रंग बढ़ाने का त्योहार है, जिसमें लोग एक दूसरे पर रंग फेकते हैं और बोहागी बेहु गाने गाते हैं.
कृषि-बिहु: काति बिहु, जिसे कृषि-बिहु भी कहा जाता है, के दौरान लोग खेतों में काम करते हैं और अपने कृषि उत्पादों की शुभकामनाएं मांगते हैं.
शिशिर बिहु: माघ बिहु या शिशिर बिहु, जो जानवरी-फरवरी में होता है, एक साधुता और शांति का त्योहार है, जिसमें लोग आपसी मेल-जोल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं.
बिहु का आयोजन:
घर सजाना: बिहु के दौरान घरों को सजाया जाता है, और खासकर बोहाग बिहु में घर की सजावट बढ़ती है.
बेहु नृत्य: रंग-बिहु के दौरान बोहागी बेहु नृत्य एक प्रमुख आयोजन है, जिसमें स्थानीय लोग एक दूसरे के साथ नृत्य करते हैं.
पिथा-पुलि बनाना: त्योहार के दौरान लोग विशेषकर पिथा-पुलि बनाते हैं, जो एक प्रकार की मिठाई है और शुभकामनाओं के साथ बाँटी जाती है.
दान और समाज सेवा: बिहु के दौरान दान और समाज सेवा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो समृद्धि और आत्मनिर्भरता की भावना को प्रोत्साहित करता है.
संक्षेप में:
बिहु असम की आनंदमयी और परंपरागत पर्व परंपरा है, जो समृद्धि, सामूहिकता, और खुशियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसमें रंग-बिहु, काति बिहु, और माघ बिहु जैसे अनेक उप-त्योहार शामिल हैं जो समृद्धि के लिए एक साथ आते हैं.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Source : News Nation Bureau