Varalakshmi Vrat: वरलक्ष्मी व्रत हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक विशेष व्रत है. इस व्रत को लक्ष्मी जी, जो धन की देवी हैं, को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. यह व्रत विशेष रूप से दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रिय है. घर में सुख-समृद्धि, पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत सुहागने रखती हैं. संतान प्राप्ति की कामना करने वाली महिलाएं भी यह व्रत रख सकती हैं. जिस घर में भी सुहागन स्त्रियां से व्रत करती हैं उस घर में सौभाग्य आता है.
वरलक्ष्मी व्रत कब है?
वरलक्ष्मी व्रत शुक्रवार, अगस्त 16, 2024 को है
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (प्रातः) - 05:57 ए एम से 08:14 ए एम तक रहेगा. आप 02 घण्टे 17 मिनट्स की अवधि के बीच व्रत रख सकते हैं.
वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (अपराह्न) - 12:50 पी एम से 03:08 पी एम तक है. 02 घण्टे 19 मिनट्स आप पूजा पूरी करें.
कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त (सन्ध्या) - 06:55 पी एम से 08:22 पी एम तक रहेगा.
वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि) - 11:22 पी एम से 01:18 ए एम, अगस्त 17 तक है.
वरलक्ष्मी व्रत कैसे मनाया जाता है?
इस दिन सुबह स्नान करके महिलाएं एक कलश स्थापित करती हैं. कलश को आम के पत्तों और फूलों से सजाया जाता है. कलश के सामने लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को आरती करती हैं. शाम को आरती के बाद व्रत तोड़ा जाता है. महिलाएं एक-दूसरे को उपहार देती हैं.
वरलक्ष्मी पूजन का महत्व
वरलक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है. इस पूजन में महिलाएं लक्ष्मी जी को विभिन्न प्रकार के भोग लगाती हैं. साथ ही, वे लक्ष्मी जी से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना करती हैं. वरलक्ष्मी व्रत महिलाओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है. यह त्योहार उन्हें एक-दूसरे के साथ मिलने और मनाने का अवसर प्रदान करता है. साथ ही, यह उन्हें धार्मिक कार्यों में भाग लेने और आध्यात्मिक विकास करने का मौका देता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)