महाभारत( mhabharat) युद्ध के दौरान जब अर्जुन को सामने खड़े योद्दा अपने सगे संबंधी दिखाई दिए तो अर्जुन की आंखों में आंसू आ गए और उन्होने धनुष-बाण रख दिए. अर्जुन को युद्ध के मैदान में टूटता देख भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का पाठ पढ़ाया था. जो आज भी जीवंत है. गीता के ये उपदेश आज भी हमारे जीवन में क्रांति का संचार करने के लिए काफी है. गीता के उपदेश सुनने के बाद अर्जुन ने अपने सभी संबंधियों से युद्ध किया और विजय श्री प्राप्त की. गीता के कुछ मुख्य उपदेश जो आज भी हमारे जीवन पर असर डाल सकते हैं. ऐसे कुछ श्लोक और उनके अर्थ हम आज यहां देने जा रहें हैं.
नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत॥
ये दूसरे अध्याय का श्लोक है इसमें बताया गया है कि आत्मा को कोई शस्त्र काट नहीं सकता, आग जला नहीं सकती, पानी भिगो नहीं सकता, हवा सुखा नहीं सकती. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया कि आत्मा शरीर बदलती है, कभी मरती नहीं है. इसीलिए किसी की मृत्यु पर शोक नहीं करना चाहिए. क्योंकि आत्मा अजर-अमर है.
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
ये भी गीता के दूसरे अध्याय का श्लोक है . इस श्लोक में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि सिर्फ कर्म पर तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फल पर तुम्हारा अधिकार नहीं है. इसीलिए कर्म के फल की चिंता नहीं करनी चाहिए. इस श्लोक में कर्म का महत्व बताया गया है. हमें सिर्फ कर्म पर ध्यान देना चाहिए. पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम करें. गलत कामों से बचें. इसलिए सब चिंता छोड़कर एक योद्दा की तरह युद्द करो.
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
ये गीता के चतुर्थ अध्याय का श्लोक है. इस श्रीकृष्ण कहते हैं कि सृष्टि में जब-जब धर्म की हानि होती है. यानी अधर्म बढ़ता है, तब-तब मैं धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेता हूं. और पापियों का विनाश करता हूं .
HIGHLIGHTS
- महाभारत के युद्द में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन का पाठ पढाया था
- श्रीकृष्ण की कही सारी बातें आज भी चिरिंजीव हैं
- गीता के ये उपदेश आज भी हमारे जीवन में क्रांति का संचार कर देते हैं