आखिर भगवान श्रीराम का कब हुआ था जन्म, जानें इसके पीछे का रहस्य

मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म द्वापर के 864000 + कलियुग के 5121 वर्ष कुल 869121 यानी  8 लाख 69 हजार 121 वर्ष पहले प्रभु श्रीराम प्रकट हुए. मान्यता है कि वे 11 हजार वर्षों तक जिंदा रहे. 

author-image
Prashant Jha
New Update
ram ji

भगवान श्रीराम ( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अवतारी पुरुष जरूर थे, लेकिन उन्होंने सामान्य बच्चे की तरह माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया. त्रेता युग में अवधपुरी में रघुकुल शिरोमणि दशरथ के घर चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को श्रीराम का जन्म हुआ था. इसी दिन देशभर में राम नवमी का त्योहार मनाया जाता है.महर्षि वाल्मीकि लिखते हैं कि चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथी को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में कौशल्या देवी ने दिव्य लक्षणों से युक्त सर्वलोक वन्दित श्री राम को जन्म दिया. वाल्मीकि कहते हैं कि जिस समय राम का जन्म हुआ उस समय पांच ग्रह अपनी उच्चतम स्थिति में थे. 

मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म द्वापर के 864000 + कलियुग के 5121 वर्ष कुल 869121 यानी  8 लाख 69 हजार 121 वर्ष पहले प्रभु श्रीराम प्रकट हुए. मान्यता है कि वे 11 हजार वर्षों तक जिंदा रहे.

भगवान राम का जीवन  

भगवान श्रीराम का जीवन एक प्रेरणादायक और धार्मिक कथा है, जिसे "रामायण" कहा जाता है. यहां भगवान राम के जन्म से मरण तक का संक्षेपित विवरण है:

जन्म:
भगवान श्रीराम का जन्म आयोध्या में हुआ था. उनके माता-पिता का नाम राजा दशरथ और कौशल्या था. उनका जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था, जिसे हिन्दू धर्म में श्रीराम नवमी या रामनवमी कहा जाता है.

बचपन:
राम ने अपने बचपन को गुरुकुल में बिताया और वहां वेद, शास्त्र, और योग की शिक्षा प्राप्त की. वह अपने ब्राह्मण गुरु विश्वामित्र के साथ कई दिव्य कार्यों में भी सहायक रहे.

 सीता से मिलन:
राम ने सीता के स्वयंवर में धनुर्विद्या का प्रदर्शन कर असम्भावी धनुष को तोड़ा और सीता से मिलन हुआ. इसके बाद राम, सीता, और उनके भाई लक्ष्मण ने अपने पिताजी की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्षों के वनवास का निर्णय किया.

 वनवास:
वनवास के दौरान, राम ने राक्षस राजा रावण द्वारा सीता को हरण कर लिया जिससे राम, सीता, और लक्ष्मण का एक अध्भुत युद्ध हुआ. राम ने रावण को मारकर सीता को बचाया और उसका पतिव्रता धर्म को समर्पित होने का प्रमाण दिया.

 अयोध्या में पुनरागमन:
अयोध्या में वापसी के बाद, राम ने राज्याभिषेक किया और अपने पिताजी के स्वर्गवास के बाद वह अयोध्या के राजा बने. उन्होंने न्याय और धर्म के माध्यम से अपने प्रजा की भलाइयों के लिए कार्य किया.

वन्देमातरम् और पुनर्वास:
सीता को लेकर जनता के चिंता और उसकी शुद्धि के लिए, राम ने सीता को पुनर्विवाह करने का विचार किया, लेकिन उन्होंने अपने धर्म के प्रति अपना स्थान स्थापित करते हुए इसे नकारात्मक दिखाया. उन्होंने सीता को देवी के रूप में माना और वन्देमातरम् के साथ उन्होंने अपने पुत्र लव और कुश को प्रकट किया और उनको अयोध्या में आने का आह्वान भेजा.

 विदाई और मरण:
राम ने वनवास के बाद भैक्षाचार्य में आकर अपनी प्रजा के बीच धर्म और न्याय का प्रचार-प्रसार किया था. युद्ध के बाद, राम ने अपनी ब्रह्मतेज को संघटित करने के लिए आपत्तियों का समाधान किया. उन्होंने आपत्तियों को सुलझाने के बाद विश्वमित्र मुनि के साथ स्वर्ग चले गए. वहां गए हुए भगवान राम ने अपने पुत्र लव और कुश से मिलकर धर्म की बातें सीखी और उन्हें अयोध्या के राजा के रूप में स्थापित किया. अपने संतानों के साथ राम ने धरती पर धर्म और न्याय की शिक्षा देने का कार्य किया और विश्व में आदर्श राजा के रूप में याद किए जाते हैं. भगवान श्रीराम का जीवन धर्म, नैतिकता, और परमात्मा के प्रति अपनी अद्वितीय भक्ति की शिक्षा से भरपूर है. उनकी कथा धरती पर बसने वाले लोगों के लिए एक अमूर्त स्रोत है जो धार्मिकता और नैतिकता की ओर मार्गदर्शन करती है.

Source : News Nation Bureau

ram-mandir-inauguration jai-shri-ram shri ram ram navami shri ram ayodhya Ayodhya’s Ram Mandir inauguration Lord shri ram born shri ram born
Advertisment
Advertisment
Advertisment