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Maha Kumbh Mela: सबसे पहले कब आयोजित हुआ था महाकुंभ मेला?

Maha Kumbh Mela: क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले महाकुंभ का मेला कहां लगा था. ये कितना प्राचीन है और इसका इतिहास कितना पुराना है.

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Inna Khosla
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When was the Maha Kumbh Mela organized for the first time

Maha Kumbh Mela First Time

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Maha Kumbh Mela: हर 12 साल में एक बार महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. ग्रहों की स्थिति के अनुसार ये मेला कहां लगेगा ये तय होता है. इस साल प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ मेला शुरू होने जा रहा है. 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले में इस बार 40 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है. प्रयाग और कुंभ मेले के बारे में पौराणिक कथाओं से लेकर ऐतिहासिक पुस्तकों में इस बारे में पढ़ने को मिलता है. इसे मानव सभ्यता के प्राचीनतम और पवित्रतम उत्सवों में से एक माना जाता है. प्रयागराज का हिंदू धर्म में गहरा धार्मिक महत्व है.

इसका सबसे पुराना उल्लेख हमें प्रयाग महात्म्य में मिलता है जो पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व में लिखा गया था.

मत्स्य पुराण के अध्याय 103-112 में भी प्रयाग की तीन पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, सरस्वती) और तीर्थयात्रा की परंपरा का वर्णन विशेष रूप से मिलता है. हालांकि, महाकुंभ मेले का सटीक आरंभ काल अभी भी अनिश्चित है, लेकिन यह माना जाता है कि यह प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है. अब इसके प्रमाण कैसे और कब मिले ये भी जान लें. 

7वीं शताब्दी के चीनी बौद्ध यात्री ह्वेन त्सांग ने महाकुंभ का सबसे पहला ऐतिहासिक उल्लेख किया है. अपने यात्रा वर्णन में उन्होंने 644 ईस्वी में राजा हर्ष के शासनकाल में प्रयाग के बारे में बताया. उन्होंने इस तीर्थ स्थल को पवित्र हिंदू नगर के रूप में वर्णित किया, जिसमें सैकड़ों मंदिर और बौद्ध संस्थान थे. उन्होंने संगम पर हिंदू स्नान अनुष्ठानों का भी उल्लेख किया है, जिसमें लोगों की आत्मा की शुद्धि के लिए कुंभ मेले में आना बताया गया है.

महाकुंभ मेले के आयोजन का संकेत ऋग्वेद परिशिष्ट में भी मिलता है, और बौद्ध धर्म के पाली ग्रंथों, जैसे मज्झिम निकाय, में इसका उल्लेख पाया जाता है. महाभारत में भी प्रयाग के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. तीर्थयात्रा पर्व में कहा गया है, जो व्यक्ति माघ मास में प्रयाग में स्नान करता है, वह पापों से मुक्त होकर स्वर्ग को प्राप्त करता है. अनुशासन पर्व में इसे कुंभ तीर्थ का महत्व बताकर सत्य, दान, आत्म-नियंत्रण, धैर्य जैसे जीवन मूल्यों का पालन करने का साधन माना गया है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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