Swaminarayan Jayanti 2024: स्वामीनारायण जयंती भगवान स्वामीनारायण के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है, जो हिंदू धर्म के एक प्रमुख संत और भगवान विष्णु के अवतार थे. उनका जन्म 1781 में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को गुजरात के गांधीनागर में हुआ था. स्वामीनारायण जयंती को भारत और दुनिया भर के स्वामीनारायण समुदायों द्वारा बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर मंदिरों को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है. भक्त भगवान स्वामीनारायण की पूजा करते हैं, आरती गाते हैं और भजन गाते हैं. स्वामीनारायण संप्रदाय अपनी समृद्ध रीति-रिवाजों और परंपराओं के लिए जाना जाता है. ये रीति-रिवाज और परंपराएं भगवान स्वामीनारायण के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित हैं और इनका उद्देश्य भक्तों को आध्यात्मिक जीवन जीने और भगवान के करीब जाने में मदद करना है.
तिथि: 17 अप्रैल 2024
दिन: मंगलवार
स्वामीनारायण रीति-रिवाज और परंपराएं
1. दैनिक पूजा: स्वामीनारायण भक्त प्रतिदिन सुबह और शाम भगवान स्वामीनारायण की पूजा करते हैं. पूजा में मूर्ति स्नान, आरती, भजन और प्रार्थना शामिल हैं.
2. पंचामृत स्नान: भगवान स्वामीनारायण की मूर्ति को दूध, दही, घी, शहद और केसर के मिश्रण से स्नान कराया जाता है. यह स्नान शुद्धिकरण का प्रतीक है और भक्तों को पापों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है.
3. ध्वज पूजन: मंदिर में भगवान स्वामीनारायण के ध्वज की पूजा की जाती है. ध्वज भगवान की शक्ति और विजय का प्रतीक है.
4. अन्नकूट: भगवान स्वामीनारायण को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. अन्नकूट भक्तों और भगवान के बीच साझा भोजन का प्रतीक है.
5. गरबा: भक्त भगवान स्वामीनारायण की भक्ति में गरबा और रास नृत्य करते हैं. गरबा और रास नृत्य भक्ति और आनंद का प्रतीक हैं.
6. कथा: भगवान स्वामीनारायण के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित कथाएं सुनाई जाती हैं. कथाएं भक्तों को प्रेरणा देती हैं और उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करती हैं.
7. उत्सव: स्वामीनारायण संप्रदाय में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें होली, दिवाली, जन्माष्टमी और स्वामीनारायण जयंती शामिल हैं.
8. सामाजिक सेवा: स्वामीनारायण संप्रदाय सामाजिक सेवा पर बहुत जोर देता है. भक्त गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं, और विभिन्न सामाजिक कार्यों में भाग लेते हैं.
9. शाकाहार: स्वामीनारायण भक्त शाकाहारी होते हैं. वे किसी भी प्रकार के मांस, मछली या अंडे का सेवन नहीं करते हैं.
10. सत्य और अहिंसा: स्वामीनारायण भक्त सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करते हैं. वे किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, और हमेशा सच बोलते हैं.
स्वामीनारायण रीति-रिवाज और परंपराएं भक्तों को आध्यात्मिक जीवन जीने और भगवान के करीब जाने में मदद करती हैं. वे भक्तों को सदाचार, भक्ति और सेवा के मार्ग पर ले जाते हैं. स्वामीनारायण जयंती हमें भगवान स्वामीनारायण के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करती है. उनकी शिक्षाएं हमें सत्य, अहिंसा, शाकाहार और भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं. स्वामीनारायण जयंती एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान स्वामीनारायण के जीवन और शिक्षाओं का उत्सव मनाता है. यह हमें सदाचार, भक्ति और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau