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Jagannath Temple Treasure: जगन्नाथ मंदिर में इतना खजाना कहां से आया, इतिहास के पन्नों से वर्तमान तक की पूरी जानकारी 

Jagannath Temple Treasure: भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक भगवान जगन्नाथ जी के खजाने की गिनती हो रही है. लेकिन सवाल ये है कि इतना खजाना कब और कहां से आया.

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Inna Khosla
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history of Jagannath temple treasure

history of Jagannath temple treasure( Photo Credit : News Nation)

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Jagannath Temple Treasure: जगन्नाथ मंदिर, जो ओडिशा के पुरी में स्थित है, भारत के सबसे पवित्र और प्राचीन मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का खजाना और संपत्ति सदियों से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है. पुरी का जगन्नाथ मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर की आय का एक बड़ा हिस्सा तीर्थयात्रियों से प्राप्त होने वाले दान और चढ़ावा है. जगन्नाथ मंदिर की वार्षिक रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है. इस आयोजन के दौरान, लाखों भक्त मंदिर में आते हैं और अपनी श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक के रूप में दान देते हैं. जगन्नाथ मंदिर का खजाना और संपत्ति सदियों के दान, भक्तों की श्रद्धा, शासकों के संरक्षण, और धार्मिक अनुष्ठानों और उत्सवों के माध्यम से प्राप्त हुआ है. यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति और धरोहर का प्रतीक है. मंदिर की संपत्ति का उपयोग धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक कार्यों में किया जाता है, जिससे यह मंदिर समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

इतना खजाना आया कहां से ? (History of Jagannath temple treasure)

बारहवीं सदी में उड़ीसा को कलिंग के नाम से जाना जाता था. जगन्नाथ मंदिर में सोना, चांदी और दूसरे कीमती आभूषण दान में देने की परंपरा सदियों पुरानी और ये आज भी जारी है. ये शुरुआत तब गंगा वंश के राजा अनंत बर्मन के राज के समय हुई. जगन्नाथ मंदिर का वर्तमान रूप राजा अनंत बर्मन ने ही बनवाया था. इसके अलावा, उन्होने मंदिर को सोने के हाथी, घोड़े, फर्नीचर, बर्तन, बहुमूल्य रत्न दान दिए थे. जगन्नाथ मंदिर के ऐतिहासिक दस्तावेज मदलापंजी के अनुसार, गंगा वंश के दूसरे राजा आनंद भीम देव ने लगभग साढ़े 14,00,000 ग्राम सोना दान में दिया था, जिनसे भगवान की मूर्तियों के आभूषण बनाए गए.

गंगा वंश के बाद, कलिंग पर सूर्यवंशी राजाओं ने शासन ने किया. इन्हें गजपति के नाम से भी जाना जाता है. गजपति साम्राज्य की स्थापना राजा कपिलेन्द्र देव ने की, जिनका साम्राज्य बंगाल से लेकर दक्षिण में कावेरी तक फैला हुआ था. राजा कपिलेन्द्र के बारे में एक शिलालेख में इस बात का जिक्र मिलता है कि दक्षिण में एक युद्ध के बाद जब राजा कपिलेन्द्र वापस लौटे तो अपने 716 हाथियों में लादकर सोना लाये. ये सारा सोना उन्होंने श्री जगन्नाथ मंदिर में दान कर दिया था. चौदहवीं और अठारहवीं सदी के बीच इस रत्न भंडार में इतना सोना जमा हो गया कि इसे 18 बार लूटने की कोशिश हुई.

इस बार ओडिशा के विधानसभा चुनाव में पी एम मोदी ने देश की जनता से वादा किया था अगर उड़ीसा में बी जे पी की सरकार बनी तो जगन्नाथ मंदिर के खजाने की दरवाजे खोले जाएंगे और अभी अभी सरकार बनी है. नरेंद्र मोदी ने वादा पूरा कर दिया. मंदिर के खजाने की एक एक जानकारी सामने लाई जाएगी. जगन्नाथ मंदिर के खजाने के दरवाजों को खोल दिया गया है और इस खजाने में किस तरह के कीमती सामान हैं उसकी पूरी बकायदा लिस्ट तैयार की जा रही है. खजाने के अंदर कितना सोना है, कितनी चांदी है, कितने हीरे है, जबारात है? इसकी एक एक चीज़ का वजन और कीमत निकाली जा रही है. 

इस खजाने के एक हिस्से को 46 साल पहले भी खोला गया था. इसलिए इस नई लिस्ट को पुरानी लिस्ट से मिलाया जाएगा ताकि एक चेक किया जा सके कि इस खजाने में कोई घपला तो नहीं हुआ. खजाने के लिस्ट इसलिए भी मिलायी जा रही है क्योंकि खजाने के अंदर वाले कमरे की चाबियां पिछले कई सालों से गायब थी. ये चाबियां कब और किसने गायब की थी इसकी जानकारी भी किसी के पास नहीं है. इसलिए जब खजाने को खोलने वाली टीम रत्न भंडार के अंदर वाले कमरे को खोलने पहुंची तो वहां दरवाजे के ताले तोड़ने पड़े.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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