Lord Ganesha Mythological Story: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश का सिर भगवान शिव ने धड़ से अलग कर दिया था, लेकिन जब माता पार्वती को ये पता चला तो वो बहुत दुखी हुई जिससे तीनों लोक कांप गए. शिव जी ने माता पार्वती के दुख को कम करने के लिए गणेश जी को फिर से जीवित करने के बारे में सोचा. भगवान शिव ने अपने गणों से कहा कि जो भी पहला सिर तुम्हे मिले तुम ले आना. उन्हे एक हाथी का सिर मिला, जब वो उसे लेकर आए तो भगवान शिव ने अपनी दिव्य शक्तियों से हाथी का सिर गणेश को लगाकर उसे पुन: जीवित कर दिया. अब ये कथा तो ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि वो सिर जो धड़ से अलग होकर गिरा वो कहां गया और फिर उस सिर का क्या हुआ.
पाताल भुवनेश्वर गुफा में है गणेशजी का असली मस्तक
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने गणेशजी का असली मस्तक एक गुफा में रखा था. इस गुफा को अब पाताल भुवनेश्वर गुफा के नाम से जाना जाता है. जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट से लगभग 14 किलोमीटर दूर स्थित है. पाताल भुवनेश्वर गुफा में भगवान गणेश की एक अद्भुत मूर्ति विराजमान है जिसे आदि गणेश भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस गुफा की खोज कलियुग में आदि शंकराचार्य ने की थी जबकि द्वापर युग में पांडवों ने भी इस गुफा को खोजा था. यह माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं इस गुफा में रखे गणेशजी के कटे हुए मस्तक की रक्षा करते हैं.
इस गुफा का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है. जो भी इस गुफा में जाता है उसे भगवान गणेश के दिव्य स्वरूप के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है. पाताल भुवनेश्वर गुफा भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के अद्भुत धरोहरों में से एक है जो आज भी भगवान गणेश के असली मस्तक की पूजा का स्थल बनी हुई है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)