क्या आपने सोचा है की सदियों पुरानी पौराणिक कथाएं जो हम पढ़ते सुनते आए हैं उसमें सभी देवी-देवताओं का जन्म भारत में ही क्यों हुआ है. भारतवर्ष का पावन इतिहास क्या है और हिंदू देवी-देवताओं का हिंदू धर्म पर कितना प्रभाव है. भारतवर्ष की पवित्र भूमि पर अनगिनत देवी-देवताओं का अवतरण हुआ है. इसके प्राचीन इतिहास पर नजर डालें तो हमारे पौराणिक ग्रंथों में ऐसे अनेक संदर्भ मिलते हैं जो इस देश की आध्यात्मिक गहराई और पवित्रता को दर्शाते हैं. प्राचीन काल में भारत इतना विशाल था कि इसके जड़ें आज भी कई देशों में नज़र आती है. यहीं कारण है कि देवी देवताओं का जन्म भारत में ही माना जाता है, हालांकि उसके कई हिस्से चीन या अन्य देशों में आज भी मौजूद हैं. हिंदू धर्म कितना विशाल है और अखंड भारत कितना बड़ा था आइए जानते हैं.
प्राचीन काल और जंबू द्वीप का उल्लेख
मार्कंडेय पुराण में वर्णन है कि भारतवर्ष को प्राचीन काल में जंबू द्वीप के नाम से जाना जाता था. इस द्वीप का उत्तर और दक्षिण क्षेत्र मध्य में स्थित था जिसे बाद में भारतवर्ष के नाम से जाना गया. महाराज प्रियव्रत जो कि प्रथम पुरुष स्वायंभुव मनु के पौत्र थे, उनके पुत्र ने इस क्षेत्र को नियंत्रित किया. उनके अनुज के नाम पर भारत का नाम भारतवर्ष पड़ा. एक मत के अनुसार भारत का नाम राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा. पुराणों के अनुसार, महाराज प्रियव्रत ने अपने पुत्र अग्नींध्र को गोद लिया था, जिसके पुत्र नाभि से ऋषभदेव का जन्म हुआ. ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर इस पवित्र भूमि को 'भारतवर्ष' नाम से पुकारा गया.
अखंड भारत और इसका विस्तार
प्राचीन काल में भारत का क्षेत्र बहुत व्यापक था, जिसे 'अखंड भारत' के नाम से भी जाना जाता था. इसमें वर्तमान भारत के अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान और कुछ चीनी क्षेत्र भी आते थे. उस समय हिंदू धर्म की गहरी जड़ें भारत के अलावा अन्य देशों में भी फैली हुई थीं. दुनिया के कई हिस्सों में आज भी प्राचीन हिंदू मंदिरों के अवशेष और प्रभाव देखने को मिलते हैं. भारत के बाहर भी हिंदू धर्म के प्रभाव का प्रमाण मिलता है. ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित कई प्राचीन मंदिर दुनिया भर में मौजूद हैं. इन मंदिरों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है. सनातन धर्म की जड़ें सिर्फ भारत तक सीमित नहीं थीं. यह धर्म प्राचीन काल में पूरी दुनिया तक फैला हुआ था और इसके प्रभाव को अलग-अलग प्राचीन मंदिरों और सभ्यताओं के अवशेषों में देखा जा सकता है. भारतवर्ष का यह गौरवशाली इतिहास हमारे लिए आज भी प्रेरणा का स्रोत है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)