Mythological Story: जन्माष्टमी आने में बस कुछ ही दिन बचे हैं. राधा रानी के साथ भगवान श्रीकृष्ण के रूप में जगह-जगह पर बच्चे नज़र आएंगे. भगवान श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कहानी सदियों से प्रचलित है. भारतीय संस्कृति में इसे अमर प्रेम कहानी भी कहा जाता है. श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम दिव्य और अलौकिक माना जाता है. यह प्रेम मात्र एक भौतिक आकर्षण नहीं था, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव था. दोनों के प्रेम की कहानी में प्रेम, भक्ति और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. राधा को वृंदावन की एक गोपी माना जाता है. वे श्रीकृष्ण की सबसे करीबी सखी थीं और दोनों के बीच एक अटूट बंधन था. राधा को लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है. जब भगवान श्रीकृष्ण और राधा में इतना प्रेम था तो इन्होने विवाह क्यों नहीं किया. इस तरह के सवाल कई लोगों के मन में आते हैं. ग्रंथों में इस बारे में क्या लिखा गया है आइए जानते हैं
श्रीकृष्ण और राधा के अमर प्रेम की कहानी
हिंदू धर्म ग्रंथों में इस प्रसंग से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें इस कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि राधा कोई और नहीं बल्कि श्रीकृष्ण का ही एक रूप थी. स्कंद पुराण की माने तो श्री कृष्ण को आत्माराम भी कहा जाता है अर्थात् जो अपनी आत्मा में ही रमण करते हुए आनंदित रहता है, और उसे आनंद की अनुभूति के लिए किसी अन्य की आवश्यकता नहीं होती. उनकी आत्मा तो राधा ही है. अतः राधा और कृष्ण को कभी अलग नहीं किया जा सकता. ऐसे में फिर राधा और श्रीकृष्ण के विवाह होना और बिछड़ने का सवाल ही नहीं उठता. श्रीकृष्ण ने ही खुद को दोनों रूपों में प्रकट किया है. यह भगवान का एक मनोरम रूप है पुराणों में उनके इस रूप को अध्यात्म और दर्शन से जोड़कर देखा गया.
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यह कहानी हमें सच्चे प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता का मार्ग दिखाती है. यह कहानी हमें बताती है कि प्रेम ही जीवन का सबसे बड़ा उपहार है. राधा और कृष्ण का प्रेम अमर है. यह प्रेम काल और स्थान के बंधनों से परे है. ये कहानी आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है. यह हमें बताती है कि आत्माएं एक दूसरे से जुड़ी होती हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)