Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ यात्रा के पांचवें दिन पुरी के गुंडीचा मंदिर में मां लक्ष्मी के सम्मान में हेरा पंचमी नाम का एक त्योहार मनाया जाता. माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी ने भगवान जगन्नाथ के रथ को तोड़ दिया था. ऐसा क्या हुआ कि भगवान जगन्नाथ को महालक्ष्मी के क्रोध का शिकार होना पड़ा, ये पौराणिक कथा बेहद प्रसिद्ध है. 7 जुलाई से पुरी के जगन्नााथ मंदिर से रथ यात्रा शुरू हो चुकी है जो गुंडिचा मंदिर में जाकर रुकेगी. यहां कुछ दिनों तक प्रभु अपनी मौसी के घर विश्राम करेंगे. पांचवे दिन यहां महालक्ष्मी आएंगी जिनके क्रोध से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाएंगे.
एक प्रचलित कहानी के अनुसार, भगवान जगन्नाथ उनकी पत्नी मां लक्ष्मी को पीछे छोड़कर यात्रा पर निकल पड़े. उन्हें वचन देकर की अगले दिन वापस आ जाएंगे. लेकिन फिर जब चार रातों तक जगन्नाथजी नहीं लौटे. महालक्ष्मी चिंतित होकर उन्हें ढूंढने चली गई. यात्रा के पांचवे दिन वो गुंडीचा मंदिर के द्वार पर पहुंची और वहां भगवान जगन्नाथ के रथ को देखा. महालक्ष्मी अत्यंत क्रोधित हो गईं और क्रोध से जगन्नाथजी के रथ को तोड़ दिया और फिर वापस मुख्य जगन्नाथ मंदिर लौट गयी. हर साल जगन्नाथ पुरी की यात्रा में इस घटना को हेरा पंचमी के नाम से मनाया जाता है.
हेरा मतलब ढूंढना और पंचमी मतलब पांचवा दिन वो दिन जब महालक्ष्मी जगन्नाथ जी को ढूंढने निकली. इस दिन रूठी हुई महालक्ष्मी को मनाने के लिए उनकी पूजा की गई. उन्हें पूरी के मशहूर रसगुल्ले और अलग-अलग पदार्थों का भोग चढ़ाया जाता है. फिर उनके सेवक उनकी पालकी को गुंडीचा मंदिर ले जाते हैं. वह लक्ष्मी जी और जगन्नाथ जी के सेवकों में लड़ाई होती है और आखिर में महालक्ष्मी के सेवक रथ के छोटे से हिस्से को तोड़कर अपने साथ मंदिर में ले जाते हैं.
हर साल दुनिया भर से लाखों भक्त आते हैं, जगन्नाथ यात्रा के दर्शन करते हैं. एक ऐसा समय जब उनके भगवान अपने मंदिर से बाहर उनके समक्ष आते, अपने भक्तों के बीच आकर वो उन्हें दर्शन देते. इस यात्रा का महत्त्व युगो युगों से बरकरार है, लेकिन सिर्फ भक्त ही नहीं माना जाता है कि भूत भी इस यात्रा का हिस्सा होता है. यहाँ तक की उनके लिए एक खास प्रसाद भी बनाया जाता है. यात्रा में भगवान को कई सारे पदार्थों का भोग चढ़ाया जाता है. उन्हीं में से एक है आधार पर हाँ, एक ऐसा पधार जो भगवान जगन्नाथ का प्रसाद है, लेकिन उसे भूत, प्रेत और बुरी आत्माओं के लिए बनाया जाता है. हर साल तीन बड़े-बड़े मटकों में इस पदार्थ को बनाकर इसे रथ में ही रखा जाता है और फिर इसे श्री जगन्नाथ को चढ़ाया जाता है. लेकिन भोग लगाने के बाद इसका सेवन नहीं होता, बल्कि इसे जगन्नाथ जी के रथ के आसपास फेंका जाता है और माना जाता है कि यात्रा में होने वाले इस रिचुअल का इंतजार वहाँ मौजूद सारी बुरी आत्माएं कर रही होती है क्योंकि जैसे ही यह पदार्थ नीचे गिरता है, यह बुरी आत्मा है, इसका सेवन कर लेती है और इसके बाद उन्हें मोक्ष की होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau