राम-राम" का उच्चारण भारतीय संस्कृति में एक आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश के साथ जुड़ा हुआ है. यह लोगों के बीच में एक आत्मीयता और शान्ति का अहसास कराता है. इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि लोग राम-राम बोलकर अभिवादन करने के पीछे का महत्व क्या है और ये भी जानेंगे कि लोग दो ही बार राम-राम क्यों बोलते हैं."राम-राम" का उच्चारण हिन्दू धर्म में एक आदिशक्ति और परमपिता परमेश्वर की आराधना का साधन है यह विशेषकर भक्ति मार्गी व्यक्तियों के लिए अपने ईश्वर के साथ एकता की भावना को बढ़ाता है. "राम-राम" का उच्चारण एक परंपरागत सामाजिक अभिवादन का रूप भी है.
आखिर अभिवादन में राम-राम क्यों बोलते हैं लोग?
"राम-राम" बोलने से मानसिक और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है. इस उच्चारण से जुड़ी ध्यान, प्रार्थना और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में लोगों का सामूहिक आत्म-विकास होता है. राम-राम बोलना सामाजिक एकता का भी सूचक है. यह एक साथी समृद्धि और खुशी की प्राप्ति में सामग्री है और समाज में मित्रता और सामरिक सहयोग को बढ़ावा देता है. अब सवाल यह है कि लोग दो बार राम-राम कहकर ही अभिवादन क्यों करते हैं, तीन या पांच बार क्यों नहीं कहते, तो आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण है.
दो बार ही राम-राम क्यों हैं बोलते?
दरअसल, दो राम-राम बोलने के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा है. प्राचीन काल से ही लोग राम-राम कहते आ रहे हैं. हम जब भी किसी मंत्र का जाप माला से करते हैं तो उसका जाप 108 बार करते हैं. क्योंकि एक माला में 108 मनके होते हैं. 108 नंबर को बहुत शुभ माना जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि राम-राम बोलने पर आप इसे 108 बार कहते हैं. हाँ, आप इसे सही पढ़ा, राम-राम कहने से 108 का योग बन जाता है अर्थात दो बार राम-राम कहने से एक माला जपने के समान होता है.
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कैसे बना जाता है 108 योग?
दरअसल, हिंदी शब्दावली पर नजर डालें तो 'र' सत्ताईसवां शब्द है, 'आ' दूसरा शब्द है और 'म' पच्चीसवां शब्द है. अब अगर इन तीनों को जोड़ दिया जाए तो 27 + 2 + 25 = 54. 54 + 54 = 108. इस तरह राम-राम कहने से योग 108 हो जाता है. इसका मतलब है कि राम-राम कहने से भी उतना ही पुण्य मिलता है. जितना एक माला जपने के बराबर होता है. यानी अगली बार आप किसी को राम-राम कहते हैं तो उन्हें भी बताइए कि दो बार राम-राम बोलने का क्या असल मतलब होता है.
Source : News Nation Bureau