जन्मदिन पर केक काटने से पहले आपने अक्सर लोगों को उसपर लगी मोमबत्तियां बुझाते देखा होगा. मगर क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? अक्सर ऐसे सवाल लोगों के जहन में आते हैं, लेकिन, इसका जवाब कम लोग ही जानते होंगे. इसकी शुरुआत एक पुरानी परंपरा से हुई है, जो ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इस प्रथा के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो व्यक्ति और उसके धार्मिक आदर्शों के आधार पर बदल सकते हैं. आइए यहां आपको कुछ प्रचलित मान्याताओं के बारे में बताते हैं...
शुभकामनाओं का संकेत:
व्यक्ति का जन्मदिन विशेष होता है और उसे शुभकामनाएं और आशीर्वाद मिलते हैं। कैंडल को बुझाना एक शुभ संकेत माना जा सकता है जो भविष्य में सुख और समृद्धि की ओर पोषित करता है।
आराधना और पूजा:
कुछ लोग अपने जन्मदिन को एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखते हैं और उसे अपने ईश्वर के साथ आराधना और पूजा का समय मानते हैं। कैंडल को बुझाना एक पवित्रता और आत्मिक ऊर्जा का स्रोत माना जा सकता है।
बच्चों के साथ खेल:
बच्चों के बीच में यह एक रोमांटिक और मजेदार परंपरा बन गई है कि जन्मदिन पर वह उतनी कैंडल्स को बुझाते हैं, जितने उनके आयु के साल होते हैं।
प्राकृतिक ऊर्जा का समर्थन:
कुछ लोग इस परंपरा को एक प्राकृतिक ऊर्जा के समर्थन का एक तरीका मानते हैं। कैंडल्स को बुझाना उनके लिए प्राकृतिक संतुलन की दिशा में कदम बढ़ाने का संकेत हो सकता है।
स्थायिता और परंपरा:
इस प्रथा को बचपन से देखने वाले लोग इसे एक स्थाई और परंपरागत पहलुओं का हिस्सा मानते हैं, और इसलिए इसे आगे बढ़ाते हैं।
इन कारणों से यह परंपरा विभिन्न समुदायों और परिवारों में विभिन्न रूपों में प्रचलित है और लोग इसे अपनी आत्मिक और सामाजिक संबंधों का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
Source : News Nation Bureau