Ganesh Mythological Story: पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत स्वयं भगवान गणेश ने लिपिबद्ध करवाया था. ये पौराणिक कथा है महर्षि वेदव्यास की. पुराणों की मानें को महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेशजी का आह्नान किया था. लेकिन वाणी, ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता गणेश ने महाभारत की रचना को लिपिबद्ध करवाने के लिए एक शर्त रखी थी. उसी शर्त के अनुसार 10 दिनों तक उनकी खूब पूजा अर्चना की जाती है और फिर अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन किया जाता है. ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि 10 दिनों में ये महाग्रंथ लिखा गया था. लेकिन इस लिपिबद्ध करते समय किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा आइए जानते हैं.
गणेश विसर्जन के पीछे महर्षि वेदव्यास से जुड़ी एक बेहद प्रसिद्ध पौराणिक कथा है. कहते हैं जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए भगवान गणेश का आह्नान कर उनसे महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की तो भगवान ने इसे स्वीकार कर लिया. लेकि प्रार्थना को स्वीकार करने के बाद गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास के सामने एक शर्त रखी 'कि प्रण लो 'मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं, यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा'. तब वेदव्यासजी ने कहा कि भगवन आप देवताओं में अग्रणी हैं, विद्या और बुद्धि के दाता हैं और मैं एक साधारण ऋषि हूं. यदि किसी श्लोक में मुझसे त्रुटि हो जाए तो आप उस श्लोक को ठीक कर उसे लिपिबद्ध करें.
इस तरह गणपति जी ने सहमति देते हुए महाभारत की रचना शुरु कर दी. दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ, इतनी मेहनत से महाभारत की रचना कर रहे गणेश जी को इस कारण थकान तो होनी ही थी, इस महाग्रंथ की रचना करते समय उन्हें पानी पीना भी वर्जित था.
अब धीरे धीरे गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़ने लगा लेकिन, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की. मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पार्थिव गणेश भी पड़ा.
10 दिनों तक महाभारत का लेखन कार्य चला. जब अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ तो महर्षि वेदव्यास ने देखा कि गणपति का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है. गणपति के शरीर पर उन्होंने जो मिट्टी का लेप लगाया था जिससे उनका तापमान ना बढ़े वो भी सूखकर झड़ने लगा था, तो इसे देखते हुए वेदव्यास ने गणेश जी को पानी में डाल दिया. इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए. इसलिए गणेश चतुर्थी पर गणेशजी को स्थापित किया जाता है और 10 दिन मन, वचन, कर्म और भक्ति भाव से उनकी पूजा करके अनंत चतुर्दशी को विसर्जित कर दिया जाता है.
कहते हैं आपके चाहने पर वो आपके घर नहीं आते. आपकी किस्मत के तारे जब चमकने वाले होते हैं तो वो खुशखबरियों के साथ आपके घर में प्रवेश करते हैं और जाते-जाते आपके सारे काम समपन्न करके वापस अपने लोक में लौट जाते हैं.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)