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Pitru Paksha: पितृ पक्ष में दाढ़ी-मूंछ या बाल कटवाना क्यों मना है जानें इसके वैज्ञानिक और धार्मिक कारण

Pitru Paksha 2024: हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान ना सिर्फ दाढ़ी-मूंछ के बाल बल्कि सिर के बाल काटना भी वर्जित माना जाता है. इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या हैं आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Why is it forbidden to shave or cut hair during Pitru Paksha

Don't shave or cut hair during Pitru Paksha

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Pitru Paksha: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के दौरान दाढ़ी-मूंछ या बाल कटवाने का परहेज किया जाता है. इन 15 पितृ पक्ष के दिनों को श्राद्ध भी कहा जाता है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. पितृ पक्ष में दाढ़ी-मूंछ या बाल न कटवाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कुछ लोग धार्मिक कारणों से ये परहेज करते हैं तो कुछ वैज्ञानिक कारणों से बाल कटवाने से परहेज करते हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे के वैज्ञानिक और धार्मिक कारण क्या हैं.

धार्मिक कारण

पितृ पक्ष के दौरान पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है. इस दौरान बाल और दाढ़ी न काटकर हम अपने पितरों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं. पितृ पक्ष को एक तरह का शोक काल माना जाता है. इस दौरान बाल और दाढ़ी न काटकर हम अपने पितरों के प्रति शोक व्यक्त करते हैं. कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान बाल और दाढ़ी काटने से पितरों को कष्ट होता है. पितृ पक्ष के दौरान संयम और त्याग पर जोर दिया जाता है. बाल और दाढ़ी न काटकर हम अपने आप को संयमित रखने का प्रयास करते हैं. 

वैज्ञानिक कारण

आयुर्वेद के अनुसार, शरीर के कुछ हिस्से ऊर्जा केंद्र होते हैं. बालों और नाखूनों को भी इन ऊर्जा केंद्रों से जोड़ा जाता है. इनको काटने से शरीर की ऊर्जा संतुलन बिगड़ सकता है. पितृ पक्ष के दौरान शरीर में कुछ शारीरिक बदलाव होते हैं. इस दौरान बाल और दाढ़ी काटने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. बाल और दाढ़ी काटने से व्यक्ति का मनोबल कमजोर हो सकता है. पितृ पक्ष के दौरान मन को शांत रखने के लिए यह जरूरी है.

तो, पितृ पक्ष में बाल और दाढ़ी न काटने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण हैं. यह परंपरा हमें अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देती है. इसके साथ ही यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकती है. पितृ पक्ष के दौरान शाकाहारी भोजन करने और मांसाहार से परहेज करने की सलाह दी जाती है. इस दौरान दान करना भी पुण्य का काम माना जाता है. पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना बहुत महत्वपूर्ण है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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