Holi 2024 Ubtan: होलिका दहन से पहले सरसों का उबटन लगाने का धार्मिक महत्व है. इस क्रिया को 'सरसों का उबटन' या 'सरसों का तेल' के रूप में भी जाना जाता है. यह रीति होलिका दहन के अवसर पर विशेषतः पूर्व उत्तर भारत में प्रचलित है. सरसों का उबटन लगाने का मुख्य उद्देश्य होता है कि यह शुभता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है. इस क्रिया में सरसों के तेल को धार्मिक श्रद्धा के साथ लगाया जाता है, जिससे व्यक्ति को असुरी शक्तियों से रक्षा मिलती है. सरसों के उबटन को लगाने से पहले लोग धार्मिक आचरणों और मंत्रों का उच्चारण करते हैं. यह कार्यक्रम होली के उत्सव के अग्रदूत माना जाता है और लोगों को आपसी समरसता और सहयोग के साथ जीवन में समृद्धि की कामना करता है. इस परंपरा में समर्पितता और आस्था का महत्व है, जिससे लोग एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सहयोग का भाव विकसित करते हैं. इसके अलावा, यह एक सामाजिक आयोजन होता है जिसमें लोग एक साथ मिलकर खुशियों का उत्सव मनाते हैं.
सरसों का उबटन लगाने का महत्व
सरसों का तेल एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है जो शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है. माना जाता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं को दूर करता है. सरसों का तेल त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है. यह त्वचा को पोषण देता है, रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और मुंहासे, खुजली और अन्य त्वचा रोगों को दूर करने में मदद करता है. सरसों का तेल भगवान शिव को समर्पित है. माना जाता है कि होलिका दहन से पहले सरसों का उबटन लगाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. सरसों का तेल त्वचा पर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है जो रंगों से त्वचा को होने वाले नुकसान से बचाता है. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. सरसों का उबटन लगाकर हम नकारात्मकता को त्यागकर एक नई शुरुआत करने का संकल्प लेते हैं.
उबटन बनाने की विधि:
- बेसन
- हल्दी
- सरसों का तेल
- दही
- गुलाब जल
सभी सामग्री को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट तैयार करें. इस पेस्ट को शरीर पर लगाकर 15-20 मिनट के लिए सूखने दें. इसके बाद पानी से धो लें. सरसों का उबटन लगाने के बाद त्वचा को धूप से बचाना चाहिए. होलिका दहन से पहले सरसों का उबटन लगाने का धार्मिक, औषधीय और सांस्कृतिक महत्व है. उबटन लगाने से शरीर और मन को शुद्ध करने, रक्षा प्राप्त करने, भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और होलिका दहन के त्योहार का उत्साह बढ़ाने में मदद मिलती है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. .
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Read Also:Lathmaar Holi 2024: क्या है नंदगांव की लट्ठमार होली का पूरा इतिहास, जानें इसका महत्व
Source : News Nation Bureau