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Haldi Ceremony: शादी में हल्दी की रस्म कुशा घास से क्यों करते हैं, जानें धार्मिक महत्व

Haldi Ceremony: हल्दी की रस्म एक प्रमुख रूप से भारतीय शादियों में होती है और यह एक महत्वपूर्ण पूर्वांग रस्म है जो विवाह से पहले होती है. इस रस्म का आयोजन विशेष रूप से भारतीय के हिस्सों में किया जाता है.

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Inna Khosla
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Why is turmeric ceremony done with Kusha grass in marriage know its religious significance

Haldi Ceremony( Photo Credit : freepik.com)

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Haldi Ceremony: आज से शादी के शुभ मुहूर्त शुरू हो चुके हैं. साल 2024 में शादी की शहनाइयां आज से सुनायी देने लगेंगी. शादी की सभी रस्मों में हल्दी की रस्म बेहद खास होती है. इसका धार्मिक महत्व को है ही साथ ही इसके वैज्ञानिक कारण और स्वास्थ्य लाभ भी हैं. अगर आपके घर में शादी का समाहोर है और आप हल्दी की रस्म की तैयारी कर रहे हैं तो आपको ये जानकारी होनी चाहिए. शादी की हल्दी हमेशा कुशा घास से लगायी जाती है. इसका पौराणिक महत्व है जिस बारे में हम आपको आगे बताएंगे, लेकिन उ ससे पहले जानते हैं कि शादी में हल्दी की रस्म कैसे की जाती है. हल्दी की रस्म एक प्रमुख रूप से भारतीय शादियों में होती है और यह एक महत्वपूर्ण पूर्वांग रस्म है जो विवाह से पहले होती है. इस रस्म का आयोजन विशेष रूप से भारतीय के हिस्सों में किया जाता है, लेकिन इसका महत्व सामान्यत: यह होता है क्योंकि यह विवाह से पहले भविष्यवाणी, शुभकामनाएं और बढ़िया स्वास्थ्य की कामना करता है.

हल्दी की रस्म का आयोजन इस प्रकार होता है:

हल्दी सजाना: हल्दी की रस्म में, बरात वाले घर से हल्दी लाई जाती है और उसे विशेष तरीके से सजाया जाता है.

दुल्हन और दुल्हे को हल्दी लगाना: इसके बाद, दुल्हन और दुल्हे को हल्दी लगाई जाती है. यह हल्दी का रंग उनके त्वचा को सुंदरता से भर देता है और उन्हें शादी के दिन के लिए तैयार करता है. 

आशीर्वाद और शुभकामनाएं: हल्दी की रस्म में, उपस्थित सभी लोग दुल्हन और दुल्हे को आशीर्वाद और शुभकामनाएं देते हैं. 

हल्दी की रस्म का धार्मिक महत्व यह है कि इसे शुभ और सुकून लाने वाला माना जाता है. हल्दी का रंग उत्तेजना और खुशियों का प्रतीक है, और इसे शादी के दिन के लिए शुभ माना जाता है. हल्दी में विशेषता से तैयार किए गए नुस्खे भी होते हैं, जो दुल्हन और दुल्हे को निखार और चमकीला बनाने का कारण बनते हैं. 

कुशा घास से क्यों लगायी जाती है शादी की हल्दी

पौराणिक महत्व: कुशा घास को हिन्दू धर्म में पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे सेतुमाता और सेतुमाता के पुत्र नल के नाम से जाना जाता है और इसे पूजा जाता है शुभ कार्यों के लिए.

शुभता और सुरक्षा का प्रतीक: कुशा घास को शुभता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है. इसे शादी की हल्दी में शामिल करने से यह माना जाता है कि यह दुल्हन और दुल्हे को शादी के रिवाज और सांस्कृतिक आदतों के साथ सुरक्षित रखने में मदद करता है.

सुप्रभात प्रार्थना: कुशा घास को सुप्रभात (उत्तिष्ठ) प्रार्थना के समय पूजा जाता है और इसे नए शुभ दिन की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है.

शुभ और सकारात्मक ऊर्जा: कुशा घास को शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है और इसे हल्दी में शामिल करने से विवाह सुख और शांति में मदद मिलती है.

इस प्रकार, कुशा घास को हल्दी की रस्म में शामिल करना हिन्दू धर्म में आदर्शता और सुख-शांति की कामना को प्रकट करता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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