Lord Jagannath: जगन्नाथ मंदिर, जो पुरी, ओडिशा में स्थित है, हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है. इस मंदिर में केवल हिंदू धर्म के लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है, जबकि गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. इस नियम का पालन मुस्लिमों समेत अन्य धर्मों के लोगों पर भी लागू होता है. यह प्रतिबंध क्यों है और इसके पीछे के ऐतिहासिक, धार्मिक, और सामाजिक कारणों को समझना आवश्यक है. जगन्नाथ मंदिर की परंपरा सदियों पुरानी है, और इसे धार्मिक आस्था और मान्यताओं के अनुसार चलाया जाता है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां सभी धर्मों को समान सम्मान और अधिकार प्राप्त हैं. हिंदू धर्म में कई धार्मिक स्थलों पर विशेष नियम और आचार-संहिता होती है, जो धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित होती हैं. जगन्नाथ मंदिर की आचार-संहिता में केवल हिंदुओं को ही प्रवेश की अनुमति दी गई है.
आखिर मजार पर क्यों रुकती है जगन्नाथ रथ यात्रा ?
जगन्नाथ पूरी का मंदिर हिंदू धर्म में खास महत्त्व रखता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि हर साल आषाढ़ के महीने में जगन्नाथ यात्रा निकाली है, वो हमेशा एक मुस्लिम की मजार पर आकर क्यों रुकती है? सालबेग नाम का एक आदमी अकबर की सेना में बहुत बड़ा सिपाही था, लेकिन एक बार एक युद्ध के दौरान उसके सिप पर ऐली चोट लगी जिसका घाव बेहद गहरा था. वो काफी परेशान रहने लगा लेकिन अपनी मां के कहने पर उसने भगवान जगन्नाथ की भक्ति शुरू कर दी. एक दिन सालबेग के सपने में भगवान जगन्नाथ आए और उस घाव पर लगाने के लिए उसे भबूत दी. जब सालबेग की नींद खुली तब उसने देखा कि उसके माथे का घाव अपने आप ठीक हो चुका है. भावुक हुआ सालबेग तुरंत भगवान जगन्नाथ के मंदिर की ओर दर्शन करने चला गया, लेकिन मुस्लिम होने के कारण उसे मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली. उसने हार नहीं मानी और वो बाहर बैठकर ही भगवान की भक्ति करने लगा.
माना जाता है कि मृत्यु के पहले वो ये कहकर गया कि अगर मेरी भक्ति में सच्चाई है तो मेरे प्रभु मेरी मजार पर जरूर आएंगे. तब से हर साल श्री जगन्नाथ जी का रथ सालबेग की मजार पर कुछ देर के लिए रोका जाता है पर.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau