Ayodhya Ram Mandir : आज विश्व में जहां भी सनातनी लोग बसे हैं, वहां रामभक्ति का माहौल देखने को मिल रहा है. हर कोई राम-राम सीता राम कह रहा है. हर किसी की जुबान पर सीता-राम देखने को मिल रहा है. इन सबके बीच क्या आपने कभी सोचा है कि मां सीता का नाम प्रुभ राम से पहले क्यों लिया जाता है? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर किसी के पास नहीं होगा. आज हम आपको बताएंगे कि भगवान राम से पहले माता सीता का नाम क्यों लिया जाता है. सीता-राम" एक ऐसा शब्द है जो हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को सूचित करता है और इसमें गहरा आद्यात्मिक अर्थ छिपा होता है. यह शब्द सीता और राम के अद्वितीय और आपसी संबंध को दर्शाता है, जो हिन्दू धर्म में एक अद्वितीय और पवित्र जोड़ी के रूप में मानी जाती है.
भगवान राम से पहले मां सीता का नाम क्यों?
"सीता-राम" का रूप उस विशेष पल को संकेतित करता है जब माता सीता और भगवान राम एक दूसरे के साथ विभिन्न चुनौतियों और परीक्षाओं का सामना करते हैं और उनका प्यार और आपसी समर्पण परीक्षण को पार करता है. सीता-राम की कहानी रामायण में प्रमुख रूप से प्रस्तुत है, जिसमें भगवान राम और माता सीता का विवाह, सीता का अपहरण, रावण के साथ युद्ध, और सीता का अग्निपरीक्षा शामिल हैं.
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तो इसलिए लिया जाता है नाम?
इन घटनाओं के माध्यम से, सीता-राम का परम प्रेम, आपसी समर्पण, और धर्म के प्रति समर्पण दिखता है. "सीता-राम" का यह एकता और समर्पण आपसी विश्वास और सहयोग का प्रतीक बनता है, जो हमें यह सिखाता है कि प्रेम और समर्पण का महत्व अद्वितीय होता है. इससे हमें धर्म, नैतिकता, और सजीव संबंधों के महत्व को समझने का अवसर मिलता है. सीता-राम का यह प्रतीक न केवल एक व्यक्ति या विशेष घटना को दर्शाता है, बल्कि यह हमें सार्वभौमिक सिद्धांतों की ओर आकर्षित करता है जो समृद्धि, न्याय, और प्रेम की महत्वपूर्णता को बताते हैं.
भगवान राम के प्रति माता सीता की भक्ति रामायण काल में देखने को मिलती है कि कैसे उन्हें भगवान के साथ जंगलों में घूमना पसंद करती हैं. ऐसे कई कारण हैं जो बताते हैं कि माता सीता का नाम राम से पहले इसी कारण से लिया जाता है.
Source : News Nation Bureau