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Kailash Parvat Mystery: क्यों आज तक कोई नहीं चढ़ पाया इस रहस्यमयी पर्वत पर?

हिंदू धर्म के लोगों के लिए कैलाश पर्वत बेहद पवित्र है. हर साल भारी संख्या से भारत से लोग चीन में कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने जाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आज कर इस पर्वत पर कोई चढ़ायी क्यों नहीं कर पाया ?

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Inna Khosla
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Kailash Parvat

Kailash Parvat Mystery( Photo Credit : News Nation)

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Kailash Parvat Mystery: कैलाश पर्वत, जो तिब्बत में स्थित है, हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है. यह पर्वत चार प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है. माउंट एवरेस्ट की तुलना में कम ऊंचाई होने के बावजूद, कैलाश पर्वत पर आज तक कोई विजय हासिल नहीं कर पाया है. वैज्ञानिक मानते हैं कि यह पर्वत 1,70,00,000 साल पुराना है और इसमें असीम शक्तियां हैं जो किसी को भी चढ़ने की अनुमति नहीं देतीं. इन पर्वत से जुड़ी कई रहस्मयी कहानियों और तथ्यों ने वैज्ञानिक को भी हैरान कर रखा है? 

कितना ऊंचा है कैलाश पर्वत ? 

माउंट एवरेस्ट, जो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है पर अब तक लगभग 7000 लोग चढ़ाई कर चुके हैं. लेकिन, इसके मुकाबले 2200 मीटर कम उचाई वाले कैलाश पर्वत पर आज तक कोई विजय हासिल नहीं कर पाया. कैलाश पर्वत की उचाई 6648 मीटर है, जबकि माउंट एवरेस्ट 8847 मीटर की उचाई के साथ 2200 मीटर अधिक ऊंचा है. इसके बावजूद आज 7000 से ज्यादा लोग माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर चुके हैं लेकिन कैलाश पर्वत पर नहीं. मान्यता है कि ये पर्वत असीम शक्तियों से बना है, जो किसी को भी पर्वत पर चढ़ने की अनुमति नहीं देती और ज्यादातर लोग या तो रास्ते से वापस आ जाते हैं या फिर अपनी जान गवां देते हैं. 

कैलाश पर्वत का इतिहास 

कैलाश पर्वत से जुड़े इतिहास को जानने के लिए अगर धर्म ग्रंथों को खंगाला जाए तब भी हमें इसके बनने की सटीक जानकारी नहीं मिलती है. जैसे अगर आप पुराणों को देखें तो किसी भी पुराण में आपको कैलाश पर्वत से जुड़ी जानकारी नहीं मिलेंगे. जैसे इसे कब बनाया गया, किसने बनाया और कैसे बनाया? लेकिन इतना जरूर कहा जाता है कि सतयुग में भगवान शिव ने कैलाश पर्वत को अपना निवास स्थान बनाया. जब माता पार्वती उनसे नाराज हुईं तब भी शिव जी कैलाश पर्वत पर ही गए थे और बाद में अपने परिवार यानि गणेश जी, कार्तिकेय और माता पार्वती के साथ शिव जी यहीं बस गए. 

बौद्ध धर्म की बात करें तो इस धर्म से जुड़े लोगों के लिए भी कैलाश पर्वत बेहद महत्वपूर्ण और आवश्यक है. बौद्ध ग्रंथों में कैलाश पर्वत को माउंट मेरू कहा गया है. हालांकि यहां भी कैलाश पर्वत के बनने की कोई कहानी नहीं है. 

जैन धर्म ग्रंथों के अनुसार कैलाश पर्वत को देखें तो इनमे बताया गया है कि जैन धर्म के पहले तीर्थनकर विश्वदेव ने इसी पर्वत पर मोक्ष की प्राप्ति की थी. लेकिन, इसके निर्माण का कहीं कोई जिक्र नहीं है. बल्कि जैन ग्रंथों के अनुसार कैलाश पर्वत बहुत पहले से ही मौजूद था और अपार शक्तियों से भरा हुआ था.

वैज्ञानिकों का दावा 

हमारे विज्ञान के पास कैलाश पर्वत से जुड़ी कुछ थ्योरीज है. कैलाश पर्वत पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक के मुताबिक हिमालय 1,70,00,000 साल पुराना है. दरअसल, वैज्ञानिक का मानना है कि आज से करीब 5,00,00,000 साल पहले जब भारतीय उपमहाद्वीप ऑस्ट्रेलियाई तथ से अलग होकर एशियाई महाद्वीप से टकराया तो हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ. जबकि कैलाश पर्वत को 1,70,00,000 साल पुराना बताया जाता है. यानि यह हिमालय के काफी समय बाद बना होगा. 

चीन के कब्जे में कैसे आया कैलाश पर्वत

आधुनिक इतिहास की बात करें तो सत्रहवीं सदी में मुगल शासकों ने इस पर्वत पर अपना अधिकार किया और चीन से छीन लिया. हालांकि मुग्लों के बाद सब पहले जैसा हो गया. कैलाश पर्वत चीन के पास कैसे गया यह बात है उस रोज़ की जब चीन ने भारत की लगभग 43,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया था, जिसमें तिब्बत के साथ कैलाश पर्वत भी शामिल था. हालांकि इसके बाद भी जवाहरलाल नेहरू जी ने कैलाश पर्वत को एक बंजर भूमि कहकर इस मु्द्दे को यही छोड़ दिया. लेकिन उधर चीन लगातार कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश करता रहा. 

साल 2001 में भी चीन ने स्पेन और रूस के वैज्ञानिक के साथ कैलाश पर्वत पर चढ़ने की आखिरी कोशिश की थी, लेकिन यह कोशिश भी नाकाम रही और इसके बाद वैज्ञानिक ने कैलाश पर्वत से जुड़ी जो बातें बताई उन्हें सुनने के बाद हर कोई हैरान रह गया. अब इस पर्वत से जुड़े कुछ अनोखे और हैरान कर देने वाले रहस्यों के बारे में जानते हैं. 

कैलाश पर्वत की रहस्यमयी कहानियां और अद्भुत तथ्य

ओम, घंटी, डमरू और शंख की आवाजें

कैलाश पर्वत पर जिसने भी चढ़ाई करने की कोशिश की उसने बताया कि पर्वत से लगातार कुछ आवाजें आती हैं जैसे कोई ओम का जाप कर रहा हो या घंटियां बज रही हों. इतना ही नहीं जब तिब्बत के धर्म गुरुओं ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की. तो उन्हें भी लगातार शंक बजने की आवाज सुनाई दीं. ये आवाज जब उनके बर्दाश्त से बाहर हो गई तो वे सभी अपनी यात्रा बीच में ही छोड़कर वापस लौट आए. कहते हैं कि ये डमरू महादेव का है क्योंकि वे आज भी इसी पर्वत पर रहते हैं. 

देवताओं का घर 

कहानियों के अनुसार कैलाश पर्वत पर सिर्फ भगवान शिव या उनका परिवार ही नहीं बल्कि दूसरे देवी देवता भी रहते हैं. 

रहस्यमय रौशनी

यह एक नहीं कई बार हुआ है कि कैलाश पर्वत पर सात रंगों की अद्भुत रौशनी चमकी है. ये लाइट्स सबसे अलग और बेहद चमकीली होती हैं और ज्यादातर रात के समय ही देखने को मिलती है. हालांकि इन रौशनियों के चमकने की वजह क्या है, कोई नहीं जानता. यह बात आपको अजीब लग सकती है, लेकिन कैलाश पर्वत के आसपास समय कुछ अलग ही है. मतलब यह पृथ्वी से काफी आगे है. 

कई पर्वतारोही बताते हैं कि जब वे कैलाश पर्वत पर चढ़ाई कर रहे थे तो उनके बाल और नाखून बहुत तेजी से बढ़ रहे थे. 

कैलाश पर्वत पर दो सरोवर भी है. मानसरोवर और राक्षस झील. मानसरोवर मीठे पानी से भरपूर है और लोगों के दुख दर्द दूर करने के लिए जानी जाती है. वही दूसरी तरफ है राक्षस चील, जिसका निर्माण राक्षसों के राजा रावण द्वारा माना जाता है. इसका पानी इतना खारा है कि इंसान के लिए जहर है. कहते हैं कि यहां बुरी आत्माएं बस्ती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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