जानिए सावन मास में क्‍यों होती है भगवान शिव की पूजा, महादेव को यह महीना क्यों है प्रिय?

आखिर सावन के महीने में ही भगवान शिव की इतनी पूजा क्‍यों होती है? क्‍या है सावन का शिव से कनेक्‍शन, आइए जानें..

author-image
Drigraj Madheshia
एडिट
New Update
जानिए सावन मास में क्‍यों होती है भगवान शिव की पूजा, महादेव को यह महीना क्यों है प्रिय?
Advertisment

सावन के शुरू होते ही शिव मंदिर हर-हर महादेव और बोल बम के जयकारों से गूंज उठते हैं. 17 जुलाई से 15 अगस्‍त तक शायद ही कोई मंदिर या शिवालय होगा जहां शिव के जयकारे न गूंजते हों. आखिर सावन के महीने में ही भगवान शिव की इतनी पूजा क्‍यों होती है? क्‍या है सावन का शिव से कनेक्‍शन, आइए जानें..

भगवान शिव जो को श्रावण मास का देवता कहा जाता हैं. पूरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं और विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं. भारत में पूरे उत्साह के साथ सावन महोत्सव मनाया जाता हैं. अगर बात करें भोले भंडारी की तो श्रावण यानी सावन का महीना उन्‍हें बहुत प्रिय है. इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन व्‍यतीत कीं.

पार्वती ने किया तप तो मिले शिव

इसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया. भगवान शिव को पार्वती ने पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तपस्‍या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय हैं.

इसे भी पढ़ें:देवघरः बाबा बैद्यनाथ की नगरी शिवभक्तों के स्वागत को तैयार, कांवड़ियों के लिए विशेष सुविधाएं

यही कारण है कि इस महीने क्‍वांरी कन्या अच्छे वर के लिए शिव जी से प्रार्थना करती हैं. यह भी मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में विचरण किया था जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था. इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया हैं.

एक कथा यह भी है

धार्मिक मान्यतानुसार श्रावण मास में ही असुर और देवताओं ने समुद्र मंथन किया था. मंथन से निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया जिस कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला और इस प्रकार उन्होंने से सृष्टि को इस विष से बचाया.

यह भी पढ़ेंः सावन में शिव का ऐसे करें पूजन, सारे दुख-दर्द हो जांएगे छू मंतर

इसके बाद सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं. वहीं वर्षा ऋतु के चातुरमास में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस वक्त पूरी सृष्टि भगवान शिव के अधीन हो जाती हैं. अत: भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु मनुष्य कई प्रकार के धार्मिक कार्य, दान, उपवास करते हैं.

Source : News Nation Bureau

happy Sawan wishes Sawan 2019 happy sawan 2019 happy sawan images sawan wishes images happy sawan quotes happy sawan wishes quotes happy sawan facebook messages happy sawan sms happy sawan kavita happy sawan pic savan 2019 starts sawan kab lag
Advertisment
Advertisment
Advertisment