हिंदू धर्म शास्त्रों में अपने मुंह से 5 लोगों के नाम गलती से नहीं लेने चाहिए. पहला अपना नाम, गुरु का नाम, कंजूस का नाम, अपने बड़े बेटे का नाम और पांचवां अपनी पत्नी या पति का नाम. ऐसा करने वाले व्यक्ति के जीवन में तरक्की रुक जाती है. ऐसा क्यों होता है इस बारे में भी शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है. लेकिन, आप अगर अपने पति को बेबी, जानू या सोना कहकर बुलाती हैं तो आज ही अपने ये आदत बदल लें. माना जाता है इससे आपके पति का भाग्योदय रुक जाता है. अगर आप चाहती हैं कि गरीबी आपके पति के पीछे न पड़े, भाग्य का साथ उन्हें मिले तो सबसे पहले आप अपनी इस आदत को आज ही बदल दें.
पति को गलती से बेबी, जानू या सोना कहकर न बुलाएं
प्यार में मिया-बीवी एक दूसरे के बेबी, जानू, सोना या दूसरे नामों से पुकारते हैं. ऐसे नामों का कोई अर्थ नहीं होता. अगर आप ये नहीं जानते तो आपको बता दें कि आप जिस नाम से किसी को बुलाते हैं उसकी वाइब्रेशन का प्रभाव उस व्यक्ति पर पड़ता है. अगर आप चाहती हैं कि आपका पति अमीर बने तो आप उसे सेठ जी, अधिकारी साहब, वकील बाबू, या इस तरह से नाम से संबोधित करें. आप जिस चीज को ज्यादा से ज्यादा अट्रैक्ट करना चाहती हैं अगर आप उसे अपने पति के नाम के साथ जोड़ देंगी तो युनिवर्स आप तक उसे पहुंचाने में समय नहीं लगेगा.
स्कंद पुराण क्या कहता है ?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पति को भगवान का दर्जा दिया जाता है. जिसकी हर आज्ञा या हर इच्छा को पूरा करना पत्नी का फर्ज होता है. स्त्री जो खुद एक शक्ति का प्रतीक होती है, जब अपने कर्म, वचन और धर्म से अपने पति को पूजती है तो वो आम आदमी में कुछ दिव्य शक्ति आ जाती हैं. परंपराओं के अनुसार, हर रिवाज के पीछे कोई कारण जरूर होता है. वहीं पति के नाम ना लेने के पीछे भी एक कारण है. हमारे शास्त्रों के अनुसार महर्षि वेद व्यास जी को भगवान का अवतार माना गया है. उनकी मुख से निकली हुई वाणी को गणेश जी ने स्कंद पुराण में भी लिखा है. स्कंद पुराण में लिखा है कि जिस घर में पतिव्रता स्त्री आती है. उस घर में रहने वाले लोगों का जीवन खुशियों से भर जाता है.
स्कंद पुराण में लिखा है कि पतियों को नाम से बुलवाने पर उनकी उम्र घटने लगती है इसलिए पत्तियों की लंबी आयु के लिए महिलाएं कभी भी उन्हें उनके नाम से संबोधित नहीं करती हैं. इसके अलावा, स्कंद पुराण में यह भी लिखा हुआ है कि वही महिलाएं पतिव्रता स्त्री कहलाती हैं जो अपने पत्तियों के खाने के बाद ही भोजन करती हैं. यह भी कहा गया है, जो महिलाएं अपने पत्तियों के सोने के बाद सोती हैं और सुबह पति के उठने से पहले उठ जाती हैं, उन्हें ही पतिव्रता पत्नी का दर्जा दिया जाता है. इतना ही नहीं एक पतिव्रता स्त्री को अपने पति से अनुमति लिए बिना किसी भी तीर्थ स्थान या उत्सव में नहीं जाना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau