आज देशभर में सकट चौथ (Sakat Chauth) मनाया जा रहा है. माघ में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha) की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत भी रखा जाता है. इस दिन को कहीं संकटा चौथ, तो कहीं तिलकुट चौथ या फिर संकष्टी चतुर्थी नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि सकट चौथ के दिन व्रत रखने से संतान निरोगी, दीर्घायु और सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होती है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूर्ण माना जाता है. इस दिन शाम को भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा के बाद महिलाएं व्रत कथा सुनती हैं और भगवान गणेश की आरती पढ़ती या सुनती हैं.
सकट चौथ व्रत शुभ मुहूर्त
- सकट चौथ के दिन चन्द्रमा उदय का समय – 20:40
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 31, 2021 को 08:24 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त – फरवरी 01, 2021 को 06:24 बजे
सकट चौथ व्रत कथा
सकट चौथ को लेकर कई कथाएं भी प्रचलित हैं. एक प्रचलित कथा के अनुसार, मां पार्वती एकबार स्नान के लिए गई थीं. वहां उन्होंने अपने बेटे गणेश जी को खड़ा कर दिया और किसी को अंदर न आने देने का आदेश दिया. गणेश जी मां की बात मानकर वहां पहरा देने लगे, तभी भगवान शिव वहां आ गए, लेकिन गणेश जी ने उन्हें जाने नहीं दिया और कुछ देर इंतजार करने को कहा. इस बात से आहत भगवान शिव ने गुस्से में गणेश भगवान पर त्रिशूल का वार कर दिया, जिससे उनकी गर्दन कट गई.
इस बीच माता पार्वती स्नान करके बाहर निकलीं तो देखा कि गणेश जी की गर्दन कटी है. इस पर वे रोने लगीं और भगवान शिव से गणेश जी के प्राण फिर से वापस करने को कहा. इसपर शिवजी ने एक हाथी का सिर लेकर गणेश जी को लगा दिया. इस तरह गणेश भगवान को दूसरा जीवन मिला था और उसके बाद से ही गणेश भगवान की हाथी की तरह सूंड हो गई. उसके बाद से बच्चों की सलामती के लिए महिलाएं माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत करती हैं.
Source : News Nation Bureau