Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को पवित्र माना जाता है. इसके नीचे पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और इस पेड़ की सात परिक्रमा करना एक प्राचीन परंपरा भी है. पितृों की आत्मा को शांति देने के लिए यह उपाय पितृ पक्ष में किया जाता है. पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना और उसकी परिक्रमा करना, साथ ही सरसों के तेल में काले तिल डालकर दीपक जलाना, हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण कर्म हैं. सरसों के तेल में काले तिल डालकर दीपक जलाने से माना जाता है कि यह अंधकार को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में मदद करता है. तिल को समृद्धि और शुभता का भी प्रतीक माना जाता है. इसे जलाने से पितृों की आत्मा को शांति मिलती है. यह क्रियाएं पितृ पक्ष के दौरान करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
पितृ पक्ष में कैसे करें पीपल के पेड़ की पूजा
मान्यता है कि पीपल के पेड़ में पितरों का निवास होता है. इसलिए, पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करके पितरों को प्रसन्न किया जाता है. पीपल के पेड़ की पूजा से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और सभी सदस्यों का कल्याण होता है.
पीपल के पेड़ की पूजा कैसे करें?
सूर्योदय के समय उठकर आप पहले नहाकर साफ वस्त्र धारण कर लें. अब आप एक लोटा जल लें और पीपल के पेड़ में उसे अर्पित करें. मन में पितरों का ध्यान करते हुए ही आप जल अर्पित करें. अब आप एक मिट्टी का दीया लें जिसमें थोड़े से काले तिल और सरसों का तेल डालकर दीपक जलाएं. इसे आप पीपल के पेड़ के नीचे ही रख दें और पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें हाथ जोड़ दें.
इतना करने के बाद आप पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करें. पीपल के पेड़ के मंत्र का जाप करें. आपका जितना समर्थ हो आप उतना दान भी उस समय कर सकते हैं. पीपल के पेड़ की पूजा करते समय मन में पितरों के प्रति श्रद्धा और भक्ति भाव होना जरूरी है, तभी आपको इस पूजा का फल मिलेगा. एक बात का खास ध्यान रखें कि पीपल के पेड़ को कभी भी नुकसान न पहुंचाएं. पीपल के पेड़ की पूजा के दौरान सात्विक भोजन करना सबसे उत्तम माना जाता है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)