Yashoda Jayanti Vrat Katha: यशोदा जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है. यह व्रत संतान प्राप्ति, संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. इस बार यशोदा जयंती फाल्गुन माह में 01 मार्च 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन जहां लोग व्रत रखते हैं तो वहीं कुछ लोग इस दिन मंदिरों में जाते हैं और पूजा करते हैं. यशोदा जयंती पर भक्त अपने घरों को भी सजाते हैं और विशेष भोजन तैयार करते हैं. आइए जानते हैं यशोदा जयंती की पूरी कथा.
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर के मंदिर में गंगाजल छिड़ककर दीप प्रज्वलित करें. माता यशोदा और बाल कृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. फल, फूल, मिठाई, और पंचामृत का भोग लगाएं. 'ॐ नमः यशोदायै नन्दगोपजायै गोपालमातृयै नमः' मंत्र का जाप करें. व्रत कथा पढ़ें. दिन भर निर्जला व्रत रखें. शाम को सूर्यास्त के बाद स्नान करें और आरती करें. भगवान कृष्ण और माता यशोदा से आशीर्वाद प्राप्त करें.
व्रत कथा
एक समय की बात है, एक गरीब ब्राह्मणी थी जिसका नाम यशोदा था. यशोदा के कोई संतान नहीं थी. संतान प्राप्ति की इच्छा से उसने कई व्रत और तप किए. एक दिन, यशोदा ने एक संत से मुलाकात की. संत ने यशोदा को यशोदा जयंती व्रत रखने का सुझाव दिया. यशोदा ने पूरे विधि-विधान से यशोदा जयंती व्रत रखा. व्रत के प्रभाव से यशोदा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई. यशोदा ने अपने पुत्र का नाम कृष्ण रखा। कृष्ण बड़े होकर भगवान विष्णु के रूप में प्रकट हुए.
यशोदा जयंती व्रत के लाभ
यशोदा जयंती का व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही संतान की दीर्घायु, घर में सुख-समृद्धि आती है. इतना ही नहीं इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है और मनोकामना पूर्ण होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau