Yogini Ekadashi 2023 : हिंदू धर्म में एकदाशी का बहुत ही खास महत्व है. हर माह में दो एकदाशी आती है, पहली कृष्ण पक्ष की एकदाशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी. वहीं आषाढ़ माह में आने वाली एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी तिथि के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. अब ऐसे में आज दिनांक 14 जून को आषाढ़ माह की योगिनी एकदाशी है. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि योगिनी एकदाशी क्यों खास है और इसकी पूजन विधि क्या है.
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जानें क्यों खास है योगिनी एकादशी
योगिनी एकादशी के बाद देवशयनी एकादशी मनाई जाती है. जिसमें देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इसमें कोई भी शुभ काम पूरी तरह से करना वर्जित होता है. इसलिए इस एकादशी का बहुत ही खास महत्व है. इसके अलावा, निर्जा एकादशी और देवशयनी एकादशी जैसी महत्वपूर्ण एकादशी के बीच योगिनी एकादशी आती है. जिसके कारण इस तिथि का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
योगिनी तिथि का समापन दिनांक 14 जून दिन बुधवार को सुबह 08:48 मिनट पर होगा. उसके बाद योगिनी एकादशी का पारण दिनांक 15 जून को सुबह 05:32 मिनट से लेकर 08:10 मिनट पर होगा.
इस विधि से करें पूजा
योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. इससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा.
पढ़ें कथा
प्राचीन काल में अलकापुरी नगर में राजा कुबेर के घर हेम नाम का एक माली रहता था. उसका काम रोजाना भगवान शिव के पूजन के लिए मानसरोवर से फूल लाना था. एक दिन की बात है, उसे किसी कारण फूल लाने में देर हो गई. वह दरबार में देर से पहुंचा. इस बात से क्रोधित होकर कुबेर ने उसे कोढ़ी होने का श्राप दे दिया. उसके बाद श्राप के कारण हेम माली इधर-उधर भटकता रहा और एक दिन मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा. ऋषि ने अपने योग कला से उसके दुखी होने का कारण जान लिया. तब उन्होंने उसे योगिनी एकादशी का व्रत रखने को कहा, व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ ठीक हो गया. उसके बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.