कहा जाता है कि भगवान धनवंतरि की पूजा करने से आरोग्यता की प्राप्ति होती है. साथ ही इस विशेष दिन पर खरीदी गई चल-अचल संपत्ति का न सिर्फ एक अलग महत्व है बल्कि इस संपत्ति में 13 गुणा वृद्धि होने की भी मान्यता है. यही कारण है कि धनतेरस के दिन विशेष पूजा के साथ-साथ खरीदारी की भी परंपरा है. दीपावली से ठीक दो दिन पहले होने वाले धनतेरस का इतिहास भी आयुर्वेद से ही जुड़ा हूआ है. धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था जिन्हें आयुर्वेद का जनक कहा जाता है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, धनवन्तरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है जिनकी चार भुजाएं होती हैं जिनमें दो भुजाओं में शंख और चक्र धारण किए गए हैं.
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इस दिन मनाया जाता है धनतेरस
कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है. इसके बाद रूप चौदस या नरक चतुर्दशी और फिर दिवाली का त्योहार आता है. धनतेरस की बात करें तो समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वो धनवंतरि देव ही थे. जिस दिन वो समुद्र से निकले उस दिन कार्तिक मास की त्रयोदशी थी इसलिए हर साल इस दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. इसी कारण त्रयोदशी तिथि को धनतेरस कहा जाने लगा. धन्वंतरि को चिकित्सा का देवता भी कहा जाता है.
HIGHLIGHTS
- इस दिन खरीदारी करने से 13 गुणा वृद्धि होती है
- इस विशेष दिन पर खरीदारी की भी है परंपरा
- धनतेरस का इतिहास भी आयुर्वेद से जुड़ा हूआ है