Antim Sanskar in Pakistan: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हिंदूओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. कट्टरपंथी आए दिन हिंदूओं पर अत्याचार करते रहते हैं. इस समुदाय के लोग बेहद ही खराब हालत में जीने को मजबूर हैं. आलम ये है कि यहां हिंदूओं को मरने के बाद भी चैन नहीं मिल रहा है. मृत्यु के बाद भी उन्हें अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो रहा है. पाकिस्तान में हिंदुओं शवों को जलाने (Crematorium for Hindus)की तक की इजाजत नहीं है. दाह संस्कार के लिए उन्हें जमीन तक नहीं मिल रही है. वहां हालात इतने बुरे हैं कि हिंदू धर्म के लोग शव को जलाने की बजाए दफनाने को मजबूर हैं. पाकिस्तान में न जाने हिंदूओं के साथ क्या-क्या हो रहा है (What is happening in Pakistan with Hindus), आइए जानते हैं पाकिस्तान का काला सच.
ये है पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी
पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो की साल 2023 की जनसंख्या रिपोर्ट के अनुसार देश की 24 करोड़ से ज्यादा की आबादी में धार्मिक अल्पसंख्यकों की संख्या मजह 87 लाख है. इसमें भी हिंदुओं की कुल (Hindus in Pakistan)आबादी सिमटकर 53 लाख रह गई है. पाकिस्तान के दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों में ईसाई (3,300,788), अहमदी (162,684), सिख (15,998) और जैन (2348) हैं. अन्य धर्मों के मानने वाले 72,346 लोग रहते हैं. पाकिस्तान में हिंदुओं की अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाकों में ही रहती है.
पाकिस्तान में हिंदू धर्म के लोग कैसे करते हैं अंतिम संस्कार?
पाकिस्तान के कराची में हिंदूओं की संख्या सबसे ज्यादा है. कराची के उपनगर ल्यारी में हिंदुओं का सबसे बड़ा श्मशान घाट बना हुआ है. लेकिन वहां भी हिंदू धर्म के लोग अपनों की मृत्यु के बाद भी उनके दाह संस्कार (Antim Sanskar Rules)के लिए कट्टरपंथियों की इजाजत पर मोहताज है. इसी वजह से हिंदू धर्म के लोग श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार नहीं करा पा रहे हैं. वहीं एक बड़ी वजह वहां की महंगाई है. हिंदूओं को अंतिम संस्कार का सारा सामान या तो वहीं मिलता नहीं या फिर वो इतना महंगा होता कि वो खरीद ही नहीं पाते हैं.
शव को जलाने की बजाए दफनाने को मजबूर
हिंदूओं में मृत्यु के बाद पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार (Indian rituals after death) किया जाता है. पाकिस्तान में हिंदू शव को जलाने की बजाए दफनाने को मजबूर हैं. हालांकि हिंदू शवों को मुस्लिम तरीके से नहीं दफनाया जाता है. रिर्पोट्स के मुताबिक हिंदू शव को बैठने की पोजिशन यानी अलथी-पालथी मारकर दफनाया जाता है. इसे वहां ध्यान की मुद्रा कहा जाता है. अंतिम संस्कार के लिए मुस्लिमों की तरह कब्र नहीं बल्कि एक गोल गड्ढा खोदा जाता है. इसके बाद उसके ऊपर एक शंकु के आकार की समाधि बना दी जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)