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OMG! यहां की लड़कियां नहीं पहनती कपड़े, इस चीज पर भी है पाबंदी, जानें क्यों?

देश और दुनिया में हर जगह अलग अलग परंपरा है. वहीं ये परंपराएं चर्चा का कारण, विवाद और आलोचना का कारण बनती है. देश में कई जगह ऐसी हैं, जहां अजीबोगरीब परंपरा है.

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Nidhi Sharma
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दिल्ली का लाल किला (8)

Strange Tradition

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Strange Tradition: देश में जन्म से लेकर मरने तक हर जगह अलग परंपराएं है. वहीं ये परंपरा कभी-कभी हमारे लिए शर्मनाक वजह बन जाती है. कई जगह महिलाओं के लिए शादी से पहने वर्जीनिटी टेस्ट करवाना पड़ता है, तो कई जगह पेड़ से शादी करनी पड़ती है. वहीं भारत में एक ऐसा गांव हैं, जहां महिला और पुरुष के लिए अजीबोगरीब परंपरा है और यह परंपरा वहां सदियों से चलती आ रही है, लेकिन ताजुब की बात तो यह है कि यहां आज भी यानी की 21वीं सदी में भी इसका पालन होता है. यहां महिलाएं कपड़े नहीं पहनती हैं. वहीं महिला के अलावा इस गांव में महिला और पुरुष के हसने पर भी पाबंदी है. आइए आपको इस परंपरा के बारें में डिटेल में बताते है. 

पति- पत्‍नी एक दूसरे से रहते है दूर 

यह पंरपरा हिमाचल प्रदेश की मणिकर्ण घाटी के पिणी गांव में ना जानें कितनी सदियों से चलती आ रही है. इस गांव में महिलाएं पांच दिन कपड़े नहीं पहनती है, साथ ही इन 5 दिन में वो घर से बाहर भी नहीं निकलती है. इस गांव की महिलाएं सावन के महीने में 5 दिन कपड़े नहीं पहनती हैं. वहीं जो महिलाएं इसको नहीं मानती है. उनको कुछ बुरी खबर सुनने को मिलती है.  इस दौरान पूरे गांव में पति-पत्‍नी आपस में बातचीत तक नहीं करते हैं. इस दौरान पति-पत्‍नी एकदूसरे से पूरी तरह दूर रहते हैं. वहीं पुरुषों को सावन के इन पांच दिनों में शराब और मांस नहीं खाना होता है. वहीं अगर कोई इसको नहीं मानता है तो कहा जाता है कि देवता नाराज हो जाते है. 

पति-पत्‍नी के हसने पर पांबधी 

वहीं इन पांच दिनों में पति-पत्‍नी एक दूसरे को देखकर हस भी नहीं सकते है. इसके अलावा महिलाएं इन पांच दिन में सिर्फ एक कपड़ा पहनती है. इसके लिए महिलाएं बस एक ऊन से बना पटका यूज करती है. वहीं इस टाइम गांव में कोई बाहर से भी नहीं आता है. इसको यहां पर एक खास त्योहार के रूप में मनाया जाता है. 

परंपरा की कहानी 

बहुत समय पहले पिणी गांव में राक्षसों का बहुत आतंक था. इसके बाद ‘लाहुआ घोंड’ नाम के एक देवता पिणी गांव आए. देवता ने राक्षस का वध किया और पिणी गांव को राक्षसों के आतंक से बचाया. बताया जाता है कि ये सभी राक्षस गांव की सजी-धजी और सुंदर कपड़े पहनने वाली शादीशुदा महिलाओं को उठा ले जाते थे. देवताओं ने राक्षसों का वध करके महिलाओं को इससे बचाया. इसके बाद से देवता और राक्षस के बीच 5 दिन तक महिलाओं के कपड़े नहीं पहनने की परंपरा चली आ रही है. माना जाता है कि अगर महिलाएं कपड़ों में सुंदर दिखेंगी तो आज भी राक्षस उन्‍हें उठाकर ले जा सकते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मान्यताओं पर आधारित है. न्यूज नेशन इसकी पुष्टी नहीं करता है. 

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