एक दिन के स्थगन के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच दोबारा शुरू हुई अमरनाथ यात्रा

एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को 5,745 तीर्थयात्रियों ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन किए थे, जबकि अन्य तीर्थयात्रियों को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर खराब मौसम के कारण आगे जाने से रोक दिया गया था

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Aditi Sharma
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एक दिन के स्थगन के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच दोबारा शुरू हुई अमरनाथ यात्रा
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खराब मौसम के कारण एक दिन तक स्थगित रहने के बाद शनिवार को अमरनाथ यात्रा दोबारा शुरू हो गई. इसके साथ ही करीब 4 हजार तीर्थयात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए प्रस्थान किया. भगवती नगर यात्री निवास से निकले कुल 3,926 तीर्थयात्रियों में से कड़ी सुरक्षा के बीच 1,608 यात्रियों का काफिला बालटाल की ओर, जबकि 2,318 लोगों का काफिला पहलगाम की ओर रवाना हुआ.

एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को 5,745 तीर्थयात्रियों ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन किए थे, जबकि अन्य तीर्थयात्रियों को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर खराब मौसम के कारण आगे जाने से रोक दिया गया था. कश्मीर में समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित अमरनाथ गुफा में बर्फ की विशाल संरचना, जो भगवान शिव का प्रतीक है, चंद्रमा भिन्न चरणों के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है.

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अब तक तीर्थयात्रा पर आए 26 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा दो स्वंयसेवियों और सुरक्षाकर्मियों की भी मौत हो चुकी है. इस साल एक जुलाई को शुरू हुई 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा उत्सव के साथ होगा. 

तीर्थयात्री पवित्र गुफा तक जाने के लिए या तो अपेक्षाकृत छोटे 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से जाते हैं या 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से जाते हैं. बालटाल मार्ग से लौटने वाले श्रद्धालु दर्शन करने वाले दिन ही आधार शिविर लौट आते हैं. दोनों आधार शिविरों पर हालांकि तीर्थ यात्रियों के लिए हैलीकॉप्टर की भी सेवाएं हैं.

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स्थानीय मुस्लिमों ने भी हिंदू तीर्थयात्रियों की सुविधा और आसानी से यात्रा सुनिश्चित कराने के लिए बढ़-चढ़कर सहायता की है. इससे पहले एसएएसबी के अधिकारियों के बताया था कि, यात्रा के दौरान 22 तीर्थयात्रियों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी. पवित्र गुफा की खोज सन 1850 में एक मुस्लिम चरवाहे बूटा मलिक ने की थी.किवदंतियों के अनुसार, एक सूफी संत ने चरवाहे को कोयले से भरा एक बोरा दिया था, जो बाद में सोने से भरे बोरे में बदल गया था. लगभग 150 सालों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चढ़ावे का कुछ भाग दिया जाता है.

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