Meaning of Gaytri Mantra: सही उच्चारण से ही जागृत होता है ये मंत्र, जानें गायत्री मंत्र का सही अर्थ

स्वयं भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि 'गायत्री छन्दसामहम्' अर्थात् गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूं.

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Vikas Kumar
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Meaning of Gaytri Mantra: सही उच्चारण से ही जागृत होता है ये मंत्र, जानें गायत्री मंत्र का सही अर्थ

Gayatri mantra

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Meaning of Gaytri Manra: गायत्री मंत्र की महिमा के बारे में तो सबको पता है. हिंदू धर्म में इस मंत्र से ही दिन की शुरूआत होती है. कहा जाता है कि सुबह सबसे पहले हमें सूर्य गायत्री का पाठ करना चाहिए. गीता में भी गायत्री मंत्र की महिमा का गुणगान किया गया है. स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है कि 'गायत्री छन्दसामहम्' अर्थात् गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूं. गायत्री मंत्र अपने में ऊर्जा का भंडार है. तो आइये आज जानते हैं कि गायत्री मंत्र का सही अर्थ क्या होता है.

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।। ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।

गायत्री मंत्र का पूरा अर्थ-
ॐ : परब्रह्मा का अभिवाच्य शब्द
भूः : भूलोक
भुवः : अंतरिक्ष लोक
स्वः : स्वर्गलोक
त : परमात्मा अथवा ब्रह्म

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सवितुः : ईश्वर अथवा सृष्टि कर्ता
वरेण्यम : पूजनीय
भर्गः : अज्ञान तथा पाप निवारक
देवस्य : ज्ञान स्वरुप भगवान का
धीमहि : हम ध्यान करते है
धियो :बुद्धि प्रज्ञा
योः :जो
नः : हमें
प्रचोदयात् : प्रकाशित करें.

गायत्री मंत्र का अर्थ : हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान की दूर करने वाला हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाएं.

Source : News Nation Bureau

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