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Janmashtami 2019: ...तो इसलिए दो दिन मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस हिसाब से आज यानी कि 23 अगस्त को लोग जन्माष्टमी का व्रत भी रखेंगे. वहीं जो लोग रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्म मनाते हैं वो 24 अगस्त शनिवार के दिन जन्माष्टमी मनाएंगे और व्रत रखेंगे.

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Vineeta Mandal
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Janmashtami 2019: ...तो इसलिए दो दिन मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

krishna janmashtmi 2019

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कृष्ण भक्तों के लिए जन्माष्टमी का त्यौहार सबसे बड़ा होता है. लेकिन इसकी तारीख को लेकर हमेशा भक्तगण में हमेशा असंमजस रहता है कि वो किस दिन मनाए. तो बता दें कि श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस हिसाब से आज यानी कि 23 अगस्त को लोग जन्माष्टमी का व्रत भी रखेंगे. वहीं जो लोग रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्म मनाते हैं वो 24 अगस्त शनिवार के दिन जन्माष्टमी मनाएंगे और व्रत रखेंगे.

ये भी पढ़ें: Janmashtami Special: जानें कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मीरा बाई के बारे में, जिनकी भक्ति से विष भी अमृत बन गया

बता दें इस साल जन्‍माष्‍टमी पर खास संयोग बन रहा है. दरअसल द्वापर युग में जिस तरह अष्टमी को सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में विराजमान थे, ठीक वैसा ही अद्भुत संयोग इस साल की जन्माष्टमी यानी अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा है. माना जा रहा है कि खास संयोग से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा. भगवान श्रीकृष्‍ण की कृपा बरसती रहे और कान्‍हा के प्रेम में लोग उनके श्रृंगार के लिए नाना प्रकार के वस्‍त्र और जेवरात खरीद रहे हैं.

जानें शुभ मुहूर्त-

  • जन्‍माष्‍टमी की तिथि: 23 अगस्‍त और 24 अगस्‍त.
  • अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्‍त 2019 को सुबह 08 बजकर 09 मिनट से.
  • अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 24 अगस्‍त 2019 को सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक.
  • रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 24 अगस्‍त 2019 की सुबह 03 बजकर 48 मिनट से.
  • रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 25 अगस्‍त 2019 को सुबह 04 बजकर 17 मिनट तक.

जानें पूजा-विधि-

जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा करने का खास महत्व है. जन्माष्टमी पर भगवान को पीले फूल अर्पित करें तो घर में बरकत होगी. नंदलाला के लिए 56 भोग तैयार किया जाता है जो कि 56 प्रकार का होता है. भोग में माखन मिश्री खीर और रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, घेवर, चीला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, पूरी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता जैसी चीजें शामिल होती हैं. अगर आप भगवान को छप्पन भोग प्रसाद में नहीं चढ़ा पाते हैं तो माखन मिश्री एक मुख्य भोग है.

आमतौर पर जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण को माखन मिश्री चढ़ाया जाता है. श्री राधाकृष्ण बीज-मंत्र का जप करें. भक्ति एवं संतान प्राप्ति के लिए गोपाल, कृष्ण, राधा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ व तुलसी अर्चन करें. सभी चीजें दाहिने हाथ से भगवान कृष्ण को अर्पित करें. भगवान कृष्ण को पीले और हरे वस्त्र पहनाएं. भगवान कृष्ण के मुकुट में मोरपंख जरूर लगाएं, इससे कृष्ण जी की विशेष कृपा आपको प्राप्त होगी.

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जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा करने का खास महत्व है. जन्माष्टमी पर भगवान को पीले फूल अर्पित करें तो घर में बरकत होगी. नंदलाला के लिए 56 भोग तैयार किया जाता है जो कि 56 प्रकार का होता है.

भोग में माखन मिश्री खीर और रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, घेवर, चीला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, पूरी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता जैसी चीजें शामिल होती हैं. अगर आप भगवान को छप्पन भोग प्रसाद में नहीं चढ़ा पाते हैं तो माखन मिश्री एक मुख्य भोग है.

आमतौर पर जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण को माखन मिश्री चढ़ाया जाता है. श्री राधाकृष्ण बीज-मंत्र का जप करें. भक्ति एवं संतान प्राप्ति के लिए गोपाल, कृष्ण, राधा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ व तुलसी अर्चन करें. सभी चीजें दाहिने हाथ से भगवान कृष्ण को अर्पित करें. भगवान कृष्ण को पीले और हरे वस्त्र पहनाएं. भगवान कृष्ण के मुकुट में मोरपंख जरूर लगाएं, इससे कृष्ण जी की विशेष कृपा आपको प्राप्त होगी.

क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है. पौराणिक मान्याताओं के अनुसार द्वापर युग मथुरा में कंस नाम का राजा था और उनकी एक चचेरी बहन देवकी थी. कंस अपनी बहन देवकी से बेहद प्यार करता था. उन्होंने उनका विवाह वासुदेव नाम के राजकुमार से हुआ था. देवकी के विवाह के कुछ दिन पश्चात ही कंस को ये आकाशवाणी हुई की देवकी की आठवीं संतान उसका काल बनेगा. यह सुनकर कंस तिलमिला गए और उसने अपनी बहन को मारने के लिए तलवार उठा ली, लेकिन वासुदेव ने कंस को वादा किया कि वो अपनी आठों संतान उसे दे देंगे मगर वो देवकी को ना मारे.

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इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को मथुरा के ही कारागार में डाल दिया. देवकी के सातों संतान को कंस ने बारी-बारी कर के मार डाला. जब देवकी ने आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण को जन्म दिया तो उन्हें कंस के प्रकोप से बचाने के लिए गोकुल में अपने दोस्त नंद के यहां भिजवा दिया. कहते है कृष्ण के जन्म के समय उस रात कारागार में मौजूद सभी लोग निंद्रासन में चले गए थे.

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