फिल्मों में सुना था कि लोग कुंभ में बिछड़ जाते हैं, लेकिन सच्चे मन से चाहो तो कुंभ में भगवान भी मिल जाते हैं. धरती पर जहाँ भी साधु-संतों के चरण पड़ते हैं, वहाँ का दृश्य देखने लायक होता है. प्रयाग में संगम की पावन धरती पर सनातन पर्व का ये वो उत्सव है, जिसकी पूरी दुनिया दीवानी है. कुंभ नगरी प्रयागराज में मकर संक्रांति के पवित्र अवसर पर प्रथम शाही स्नान के साथ ही महाकुंभ का आरंभ होगा. कुंभ शुरू होने से पहले ही देश और दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र के रूप में तब्दील हुई संगम नगरी प्रयागराज में दसों दिशाओं से आए साधु-संतों के शिविर सज गए हैं.
इस बार कुंभ का आयोजन अति भव्य स्तर पर किया जा रहा है. तैयारियां महीनों पहले शुरू हुई थीं, जो अब अंतिम चरण में हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं अपनी निगरानी में सिर्फ़ नाम ही नहीं, बल्कि प्रयागराज की पूरी सूरत भी बदल दी है. अपार संख्या में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए कई तरह के खास तरह के इंतज़ाम किए गए हैं. पर्यटकों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा भी शुरू की जा रही है. प्रयागराज रात में भी रोशनी में नहाया-सा दिखने लगा है.
शाही स्नान और तैयारियां
इस कुंभ में शाही स्नान की 5 तिथियां निर्धारित हैं- पहली 15 जनवरी मकर संक्रांति के दिन, दूसरी 21 जनवरी पौष पूर्णिमा के दिन, तीसरी 4 फरवरी मौनी अमावस्या के दिन, चौथी 10 फरवरी बसंत पंचमी के दिन और पांचवीं 19 फरवरी माघी पूर्णिमा के दिन. 48 दिनों तक चलने वाले आस्था के इस महाकुंभ का समापन 4 मार्च, 2019 का महाशिवरात्रि के स्नान के साथ होगा.
सैकड़ों वर्षों से चले आ रहे महाकुंभ में इस बार स्वच्छता अभियान को केंद्र में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 4,000 करोड़ से भी अधिक की धनराशि का आवंटन किया है. कुंभ में उमड़ने वाले भारी जनसैलाब को ध्यान में रखकर कैमरे, ड्रोन, सादा वरदी में पुलिस और जल-थल-नभ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.
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बड़ी संख्या में अग्निशमन केंद्रों का निर्माण किया गया है. आपराधिक और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कई पुलिस चौकियाँ स्थापित की गई हैं. कुंभ के दौरान पूरे मेले में दूधिया रोशनी फैली दिखाई देगी. मेले के सभी सेक्टर और हर शिविर में एलईडी लाइटें लगाई गई हैं.
भारत का राष्ट्रीय समागम है कुंभ
पूरे कुंभ शेत्र को चार खंडों में बांटा गया है, जिनके नाम हैं- कल्पवृक्ष खंड, कुंभ कैनवस, वैदिक सिटी और इंद्रप्रस्थम् सिटी. हर खंड में निवास करने वाले कल्पवासियों के लिए पानी, बिजली, खाना पकाने के लिए गैस और पर्याप्त संख्या में शौचालय स्थापित किए गए हैं.
विभिन्न भाषाएं, विभिन्न आशाएं, विभिन्न वेशभूषाएं, विभिन्न संस्कृतियां, विभिन्न संप्रदाय लेकिन असंख्य विभिन्नताओं के बीच भी एक बुनियादी समानता है- कुंभ मेला भारत वासियों के दिलों में झाँकने का झरोखा है. कुंभ मेला भारत का राष्ट्रीय जन-समागम है.
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ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कुंभ और भारत एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं. कुंभ मेला वह सुअवसर होता है, जहां संतजन एकत्रित होकर आपस में धर्मचर्चा करते हैं और इस चर्चा से निकले विचार-अमृत को समाज तक पहुंचाते हैं.
कुंभ के पीछे की पौराणिक कथा
कुंभ मेले के आयोजन के पीछे अनेक पौराणिक कथाएँ हैं लेकिन सबसे प्रचलित एवं मान्य कथा समुद्र-मंथन की है. महर्षि दुर्वासा के शाप के कारण जब देवता कमजोर हो गए तो दैत्यों ने उन पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया. तब भगवान विष्णु ने उन्हें दैत्यों के साथ मिलकर क्षीरसागर का मंथन करके अमृत निकालने की सलाह दी. मंथन के बाद अमृत-कुंभ के निकलते ही इंद्र का पुत्र जयंत अमृत-कलश को लेकर आकाश में उड़ गया. तब अमृत-कलश पर अधिकार को लेकर देव-दानवों में बारह दिन तक लगातार युद्ध होता रहा.
इस युद्ध के दौरान पृथ्वी के चार स्थानों प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में कलश से अमृत की बूँदें छलक कर गिर गई थीं. तब से जिस-जिस स्थान पर अमृत की बूँदें गिरीं थीं, वहाँ-वहाँ कुंभ मेले का आयोजन होता है.
प्रयागराज में क्या है खास
प्रयागराज में न सिर्फ़ गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम होता है अपितु कुंभ के अवसर पर यह राज्यसत्ता, धर्मसत्ता और सामाजिक सत्ता का भी संगम बन जाता है. 3 नदियों के संगम प्रयाग का अर्थ है यज्ञ की पवित्र भूमि. यहाँ हर छह वर्ष में अर्ध कुंभ और हर बारह वर्ष में महाकुंभ का आयोजन होता है.
गांव से लेकर शहर तक, नौकरी-पेशा से लेकर व्यवसायी तक, किसान से लेकर छात्रों तक, पुरुष-महिलाएं, बाल, वृद्ध, सभी कंधे-से-कंधा मिलाकर निःस्वार्थ भाव से इस महापर्व के आयोजन में अपना-अपना योगदान देते हैं. इस बार संगम के किनारे बने अकबर के किले की दीवारें लेजर शो के जरिए प्रयाग शहर और कुंभ की महिमा का वर्णन करेंगी. यह शो कुंभ के बाद भी जारी रहेगा. शो में कुंभ ही नहीं, बल्कि प्रयागराज के दर्शन और महात्म्य तथा पौराणिक और धार्मिक महत्व के बारे में बताया जाएगा.
कुंभ का आयोजन पृथ्वी पर होने वाली आश्चर्यजनक घटनाओं में से एक है. कुंभ मेला एक आमंत्रण है- हिंदू धर्म की सामाजिक समरसता के दर्शन करने का. महापर्व मोक्ष-प्रदाता कहा गया है और सदियों से मानव-सभ्यता की आस्था का केंद्र बना हुआ है. जहाँ आकर सारे भेद मिट जाते हैं- ऊंच-नीच, छोटा-बड़ा, धर्म-जाति के बंधन से उठकर संगम का पावन जल सभी को एक सूत्र में बाँधकर सच्ची मानवता का एहसास कराता है. यह मेला मैल भी धोता है और मेल भी कराता है. और इस प्रकार अपना नाम सार्थक कर हमारा जीवन धन्य कर जाता है.
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Source : Harsha Sharma