जो आदि हैं और अंत भी, जो मृत्यु को भी देते हैं पराजय, जिनकी एक दृष्टि सारी बाधाएं हर लेती है. वो हैं देवों के देव महादेव, भगवान शिव.
भगवान शिव के कई नाम हैं लेकिन जो भक्तों में प्रिय है वो है भोलेनाथ, भोलेनाथ इसलिए कि वो भक्तों की भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं. भक्त सच्ची श्रृद्धा के साथ जल अर्पण करके भी उन्हें प्रसन्न कर सकते है. वो सृष्टि के संहारक भी हैं और रक्षक भी. क्रोध में वो तांडव करते हैं तो संसार की रक्षा के लिए समुद्र मंथन से निकला विष भी पी जाते हैं. भक्तों की पीड़ा उन्हें द्रवित करती है और उनकी आराधना प्रसन्न.
सप्ताह के सात दिनों में सोमवार भगवान शिव का दिन माना गया है. इस दिन भगवान शिव की पूजा व दर्शन का विशेष महत्व है. यूं तो शिव श्रृद्धा मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन यदि उनकी पूजा नियमानुसार की जाए तो अधिक फलदायी होती है.
भगवान शिव की पूजा विधि
जलाभिषेक -
जलाभिषेक करते समय ध्यान रहे कि सबसे पहले भगवान गणेश को, फिर मां पार्वती और उसके बाद कार्तिकेय को, फिर नंदी और फिर अंत में शिव प्रतीक शिवलिंग का जलाभिषेक करें. साथ ही "ऊं नमं शिवाय' मंत्र जाप मन में करते रहें.
पंचामृत अभिषेक -
इसमें दूध, दही, शहद, शुद्ध घी और चीनी मिलाए. जलाभिषेक की तरह गणेश जी शुरुआत करें. उसके बाद मां पार्वती, कार्तिकेय, नंदी और फिर शिवलिंग पर चढ़ाएं. उसके बाद केसर के जल से स्नान कराएं. फिर इत्र अर्पित करें और वस्त्र पहनाएं. चंदन लगाकर फिर 11 या 21 चावल के दाने चढ़ाएं.
भगावन शिव को माीठा चढ़ाएं -
शिव को मीठा बहुत पसंद है इसलिए भगवान शिव को मिष्ठान अवश्य चढ़ाएं. मीठे में गुड़ या चीनी भी अर्पित कर सकते हैं. उसके बाद फूल, बेल पत्र, भांग-धतूरा चढ़ाएं. श्रद्धानुसार शुद्ध घी या फिर तिल के तेल का दीपक जलाएं.
शिव चालीसा का करें पाठ -
अभिषेक के बाद शिव चालीसा या फिर श्री रुद्राष्टकम् का पाठ करने के बाद भगावन शिव की आरती करें.
भगवान शिव की पूजा-अर्चना से होते हैं यह फायदे
- मनोकामना की पूर्ति होती है.
- जीवन में आ रही परेशानियां दूर हो जाती है.
- गृहस्थ जीवन में खुशियां आती हैं.
- पापों का नाश होता है.
- बीमारियां दूर होती हैं.
- मन और दिमाग को शांति मिलती है.
- शत्रुओं का नाश होता है.
- जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है.
Source : Rashmi Sinha