सावन मास चल रहा है. हर-हर महादेव के जयकारों के साथ हर कोई शिव भक्ति में डूबा हुआ है. शिव भक्तों के लिए सावन मास बेहद खास होता है. सामन मास में हर सोमवार को व्रत करने से विशेष फल मिलता है. मान्यता है कि सावन मास में अशुभ ग्रहों के कुप्रभाव को शुभ प्रभाव में बदला जा सकता है.
दरअसल शनि, राहु और केतु पाप ग्रह माने जाते हैं. बताया जाता है कि इन ग्रहों का कुप्रभाव इतना तेज होता है कि व्यक्ति न चाहते हुए भी गलत कामों की ओर चला जाता है. मान्यता है कि सावन मास में इन पाप ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शुभ प्रभाव में बदला जा सकता है. आइए जानते हैं क्या है वो उपाए जिनसे ऐसा संभव हो पाता है.
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कैसे पाएं शनि ग्रह का शुभ प्रभाव
जिस व्यकित पर शनि का दुष्प्रभाव होता है उनमें आलस और लापरवाही आ जाती है. लेकिन सावन मास में अगर शनिवार के दिन पीपल के छोटे-छोटे दो पौधे किसी स्थान पर लगाएं और हनुमान जी की पूजा करें तो इस कुप्रभाव को शुभप्रभाव में बदला जा सकता है जिससे व्यक्ति अनुशासित हो जाता है इश्वर की तरफ ध्यान लगाता है.
कैसे पाएं राहु ग्रह का शुभ प्रभाव
राहु के दुष्प्राव से व्यकित नशे की तरफ जाता है. इसके अलावा उसमें दूसरों को परेशान करने की आदत भी रहती है. लेकिन सावन मास में सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने से, रोगियों और विक्लांगों की सेवा करने से और योग और ध्यान का अभ्यास करने से इस कुप्रभाव से मुक्ति पाई जा सकती है. इसके अलावा इस ग्रह के दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए और शुभ प्रभाव बढ़ाने के लिए सावन मास में सात्विक भोजन करना चाहिए.
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कैसे पाएं केतु ग्रह का शुभ प्रभाव
केतु के दुष्प्रभाव से व्यक्ति ईश्वर से दूर हो जाता है. हर परेशानी के लिए भगवना को जिम्मेदार ठहराता है. इसका अशुभ प्रभाव खत्म करने के लिए अपने आसपास सफाई रखनी चाहिए. रोजाना स्नान करना चाहिए और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. इसके अलावा व्यक्ति को तीर्थ स्थानों की यात्रा भी करनी चाहिए
सावन में शिव पूजा और सोमवार के व्रत से मिलेगा ये लाभ
1. सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम होता है. सावन के अलावा सोमवार का व्रत अन्य महीनों में भी किया जा सकता है.
2. कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो इससे भी छुटकारा मिलता है.
3. सोमवार का दिन चन्द्र ग्रह का दिन होता है और चन्द्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं इसलिए इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है.
पार्वती ने किया तप तो मिले शिव
भगवान शिव को पार्वती ने पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय हैं.
यही कारण है कि इस महीने क्वांरी कन्या अच्छे वर के लिए शिव जी से प्रार्थना करती हैं. यह भी मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में विचरण किया था जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था. इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया हैं.
Source : News Nation Bureau