माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस वर्ष यह आज यानी 10 फरवरी को पड़ रही है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे भव्य कुंभ में आज बसंत पंचमी (Basant Panchami) के अवसर पर तीसरा शाही स्नान (Shahi Snan) होगा. बसंत पंचमी कुंभ का तीसरा शाही स्नान है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्रयागराज में अदृश्य सरस्वती की धारा भी अदृश्य रूप में प्रवाहित होती है. यहां गंगा, यमुना के साथ सरस्वती का भी अदृश्य संगम होता है इसे ही त्रिवेणी कहा गया है.
यह भी पढ़ें- Kumbh mela 2019 : जानें कुंभ मेला की क्या है कहानी, क्यों माना गया है पवित्र
बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु प्रारंभ होती है. कड़कड़ाती ठंड के सुस्त मौसम के बाद बसंत पंचमी से ही प्रकृति की खूबसूरती निखर कर आती है. वहीं हिंदु मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. वहीं देश में कई स्थानों पर इस दिन पवित्र तीर्थ स्थलों पर बसंत मेला भी लगता है.
बसंत पंचमी पर स्नान का महत्व
बसंत पंचमी के पवित्र अवसर पर कुंभ में स्नान का विशेष महत्व है. बसंत पंचमी के मौके पर किया जा रहा स्नान अमृत स्नान के समान माना जाता है. प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का संगम होता है. मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन सरस्वती नदी में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही व्यक्ति को महापुण्य मिलता है.
ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
- सबसे पहले सरस्वती की प्रतिमा रखें.
- कलश स्थापित कर सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर पूजा करें.
- सरस्वती माता की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आमचन और स्नान कराएं.
- माता को पीले रंग के फूल अर्पित करें, माला और सफेद वस्त्र पहनाएं फिर मां सरस्वती का पूरा श्रृंगार करें.
- माता के चरणों पर गुलाल अर्पित करें.
- सरस्वती मां पीले फल या फिर मौसमी फलों के साथ-साथ बूंदी चढ़ाएं.
- माता को मालपुए और खीर का भोग लगाएं.
- सरस्वती ज्ञान और वाणी की देवी हैं. पूजा के समय पुस्तकें या फिर वाद्ययंत्रों का भी पूजन करें.
- कई लोग बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन हवन से करते हैं. अगर आप हवन करें तो सरस्वती माता के नाम से 'ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा" इस मंत्र से एक सौ 8 बार जाप करें.
संरस्वती मां के वंदना मंत्र
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त: सुबह 7.15 बजे से दोपहर 12.52 बजे तक.
पंचमी तिथि प्रारंभ: मघ शुक्ल पंचमी शनिवार 9 फरवरी की दोपहर 12.25 बजे से शुरू.
पंचमी तिथि समाप्त: रविवार 10 फरवरी को दोपहर 2.09 बजे तक.
मान्यताओं के अनुसार आज विधा की देवी सरस्वती के साथ-साथ भगवान कृष्ण की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. आप श्री सुन्दरकाण्ड का पाठ भी कर सकते हैं. आज के दिन लोग गरीबों में कम्बल तथा ऊनी वस्त्र का दान भी करते हैं. वहीं ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करने से सुख तथा संपदा में वृद्धि होती है. आज चंद्रमा दिन के आरंभ में मीन में रहेंगे लेकिन 07:38 के बाद मेष में गोचर करेंगे. मान्यताओं के अनुसार आज धार्मिक पुस्तकों का दान करने से छात्रों को विद्या की प्राप्ति होती है.
10 फरवरी का पंचांग
- तिथि- पंचमी 02:09 pm तक
- वार- रविवार
- नक्षत्र- रेवती 07:38 pm तक
- करण- बालव 02:09 pm तक
- माह-माघ , पक्ष-शुक्ल
- सूर्योदय- 07:09 am
- सूर्यास्त- 06:02 pm
- सूर्य राशि- मकर स्वामीग्रह- शनि
- चंद्र राशि- मीन स्वामीग्रह- गुरु 07:38 pm तक
- शुभ मुहूर्त- अभिजीत- 12:13 pm से 12:57
- अशुभ मुहुर्त- राहुकाल- 04:30 से 6 बजे तक
गौरतलब है कि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, विधा की देवी सरस्वती के अवतरण का दिन होता है. इसमें ऋतु का परिवर्तन भी होता है.
Source : News Nation Bureau