Lord Krishna Friendship Story: भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती के बारे में तो संसार जानता है. लेकिन, क्या आप ये जानते हैं कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण दोस्ती के बारे में क्या मानते हैं. अगर आप कृष्णा की इस दोस्ती की कहानी को ठीक से समझ पाएं तो आपके जीवन में भी सच्चा दोस्त आने में समय नहीं लगेगा. आप ऐसा भी कह सकते हैं कि आप अपने मित्र से सच्ची दोस्ती निभा पाएंगे. कल फ्रेंडशिप डे है, ऐसे में हमने सोचा कि क्यों ना आपको आज दोस्ती की एक ऐसी कहानी बतायी जाए जिसे पढ़ने के बाद आपका ये दिन और भी खास बन जाए.
भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि मैने आपसे कहा था कि संसार का सबसे बड़ा शस्त्र मित्र होता है. किंतु ये मित्रता कैसी होनी चाहिए ये ज्यादा लोग सही से नहीं जान पाते. मित्रता होनी चाहिए दूध में मिले जल की भांति. कैसे दूध में जब जल को मिलाया जाता है तब वो जल स्वयं दूध बन जाता है, तो सोचिए दूध की मित्रता से जल का अस्तित्व कितना बढ़ गया किन्तु ये कथा यही समाप्त नहीं होती. जब दूध को गर्म किया जाता है तब जल अपनी मित्रता निभाता है, जल स्वयं पहले इसका ताप लेता है, स्वयं के अस्तित्व को भाव बनाकर जला देता है और दूध को बचा लेता.
उसके पश्चात अपने मित्र के जाने से दूध में उबाल आता है, वह पात्र से निकलकर बहने लगता है और वह शांत केवल तभी होता है. जब उसमें थोड़ा जल मिला दिया जाता है अर्थात मित्रता भोग जो मित्र के अस्तित्व का विस्तार करते मित्रता वो जो मित्र के लिए स्वयं के अस्तित्व को जला दे. मित्रता वो जिसमें सुख और दुःख दोनों मित्र से जुड़ा तो ऐसे मित्र बनाओ जिसके समक्ष कुबेर का कोष भी फीका पड़ जाए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)