दीपावली के दूसरे दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) ने कहा कि गोवर्धन पूजा के दिन विशेष रूप से गाय, बैल, बछड़े और घर के पालतू पशुओं की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा और पूजा-अर्चना करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा के लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था.
यह भी पढ़ें : Dhanteras 2021: धनतेरस के मौके पर सोने में इन तरीकों से कर सकते हैं शुभ निवेश
गुरुदेव पारस भाई ने कहा कि मथुरा में इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का विधान है. लोग अपने घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसे फूलों से अच्छे से सजाते हैं. गोबर से बनाई गई गोवर्धन पर्वत के बीच में एक मिट्टी के दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं. साथ ही पूजन के वक्त गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाए जाते हैं.
पारस भाई के अनुसार, क्या है गोवर्धन पूजा की तिथि
गुरुदेव पारस भाई के मुताबिक, इस साल गोवर्धन पूजा की प्रतिपदा तिथि पांच नवंबर दिन शुक्रवार को रात्रि 2.44 बजे से शुरू होकर दिन में 11.14 बजे तक रहेगी. हालांकि, उदयातिथि होने के चलते प्रतिपदा तिथि पांच नवंबर को मानी जाएगी.
शुभ मुहूर्त
पारस भाई ने बताया कि पहला शुभ मुहूर्त प्रात: 5.28 बजे से लेकर 7:55 बजे तक और दूसरा शुभ मुहूर्त शाम को 5.16 बजे से लेकर 5.43 बजे तक रहेगा.
HIGHLIGHTS
- दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है गोवर्धन पूजा का त्योहार
- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा और पूजा-अर्चना करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं
- मथुरा में इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का विधान है