परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi 2020): कल 29 अगस्त को देशभर में परिवर्तिनी एकादशी का व्रत मनाया जाएगा. भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित इस एकादशी के दिन ही योगनिद्रा में नींद के दौरान भगवान विष्णु करवट लेते हैं. इसी कारण इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. भक्त इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करते हैं. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को हर साल यह व्रत मनाया जाता है. परिवर्तिनी एकादशी को पद्मा एकादशी या वामन एकादशी भी कहा जाता है. जो मनुष्य इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उससे तीनों लोक पूज्य होते हैं. मोक्ष की इच्छा करने वाले मनुष्यों को यह व्रत जरूर करना चाहिए.
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को वामन अवतार की कथा सुनाते हुए कहा था, हे राजन! त्रेतायुग में बलि नामक एक दैत्य राजा मेरा परम भक्त था. वह नित्य ही ब्राह्मणों का पूजन तथा यज्ञ करता था लेकिन इंद्र से द्वेष के कारण उसने इंद्रलोक तथा सभी देवताओं को जीत लिया था. इसके बाद देवताओं ने मुझसे प्रार्थना की. इसके बाद मैंने वामन रूप धारण कर पांचवां अवतार लिया और फिर राजा बलि को जीत लिया था.
राजा युधिष्ठिर ने उत्सुकतावश कहा- हे जनार्दन! आपने वामन रूप धारण करके उस महाबली दैत्य को कैसे जीता? इस पर श्रीकृष्ण ने कहा, मैंने वामन रूप में राजा बलि से तीन पग भूमि की याचना करते हुए कहा- ये मेरे लिए तीन लोक के समान है और यह तुमको अवश्य देनी ही होगी. राजा बलि ने इसे तुच्छ याचना समझकर तीन पग भूमि का संकल्प मुझको दे दिया. मेरे एक पद से पृथ्वी, दूसरे से स्वर्गलोक पूर्ण हो गए तो मैंने राजा बलि से पूछा- तीसरा पग कहां रखूं? तब बलि ने अपना सिर झुकाया तो मैंने अपना पैर उसके मस्तक पर रख दिया, जिससे वह भक्त पाताल को चला गया.
मैंने राजा बलि से कहा, मैं सदैव तुम्हारे निकट ही रहूंगा. भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन बलि के आश्रम पर मेरी मूर्ति स्थापित हुई थी. इस एकादशी को भगवान शयन करते हुए करवट लेते हैं, इसलिए तीनों लोकों के स्वामी भगवान विष्णु का उस दिन पूजन करना चाहिए. इस दिन तांबा, चांदी, चावल और दही का दान करना चाहिए.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं.)
Source : News Nation Bureau