Surya Ashtam Path: सूर्य देव को वैदिक ज्योतिष में पिता के समान माना गया है. सप्ताह में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित किया गया है. सूर्य ग्रह ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जो कुंडली में कभी वक्री चाल नहीं चलता. वैदिक धर्म ग्रंथों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के बहुत से उपाय बताए गए हैं. उन्हीं में से एक है सूर्य अष्टकम का पाठ. ऐसा माना जाता है कि सूर्य अष्टकम का पाठ करने से सूर्य देव जल्द प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं क्या है सूर्य अष्टकम पाठ और इसे करने की सही विधि.
यह भी पढ़ें: Bhanu Saptami Vrat 2022: भानु सप्तमी के दिन जीवन में बिखरेगा सूर्य देव का 'पंच महा तेज', बस करें ये 5 अचूक उपाय
इस विधि से करें सूर्य अष्टकम का पाठ
सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं. उसके बाद साफ वस्त्र धारण करके सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके लिए एक तांबे के कलश में जल, रोली या चंदन और लाल पुष्प डालकर अर्घ देना शुभ माना जाता है.
सूर्य देव को अर्घ्य देकर सूर्य अष्टम का पाठ करें
- पंडित जी के अनुसार इस पाठ को रविवार के दिन शुरू किया जाए तो सर्वोत्तम माना जाता है.
- जिस व्यक्ति को पूरी तरह से लाभ प्राप्त करना है तो उसे नियमित रूप से सूर्योदय के समय इसका पाठ करना चाहिए.
- सूर्य अष्टकम का पाठ पूरा होने के बाद सूर्य देव को मन ही मन स्मरण करते हुए नमस्कार करना चाहिए.
- किन्ही कारणों से यदि आप प्रतिदिन सूर्य अष्टकम का पाठ नहीं कर सकते हैं. तो हर रविवार अवश्य करें.
- जो व्यक्ति सूर्य अष्टकम का पाठ करता है उसे रविवार के दिन मांस, मदिरा और तेल का सेवन नहीं करना चाहिए. संभव हो तो रविवार के दिन नमक भी ना खाएं.