आचार्य चाणक्य की बताई नीतियों का अनुसरण किया जाए तो जीवन में कई बड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है.चाणक्य भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में से एक हैं. आचार्य चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र का भी अच्छा ज्ञान था. चाणक्य विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे. आचार्य चाणक्य ने अपने अनुभव और ज्ञान से जो समझा और जाना उसे अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में स्थान दिया. आचार्य चाणक्य ने खुशहाल जिंदगी के लिए कई नीतियां बताई हैं. आइये जानते हैं कैसे चाणक्य की नीति अपना कर हम अपना जीवन सुखमय बना सकते हैं.
कैसे बनाएं जीवन को सुखमय
हर मनुष्य चाहता है कि उसका जीवन सुखमय हो. हर कोई चाहता है कि उसके जीवन पर दुख की छाया बिल्कुल भी न पड़ें. लेकिन सब कुछ मनुष्य के हाथ में नहीं होता. मनुष्य इसके लिए जी तोड़ म्हणत भी करता है. जीवन में सुख और दुख दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं. अगर जीवन में सुख है तो दुख भी आएगा और दुख है तो सुख का आना भी निश्चित है. इसी सुखी जीवन को लेकर आचार्य चाणक्य ने कुछ नीतियां और अनुमोल विचार व्यक्ति किए हैं. ये विचार आज के जमाने में भी प्रासांगिक हैं. आचार्य चाणक्य के इसी विचारों में से एक विचार का विश्लेषण करेंगे. आज का ये विचार भाग्य के विपरीत होने पर है.
आत्मद्वेषात् भवेन्मृत्यु: परद्वेषात् धनक्षय: ।
राजद्वेषात् भवेन्नाशो ब्रह्मद्वेषात् कुलक्षय: ।।
इस श्लोक का मतलब है कि जो इंसान अपनी ही आत्मा से द्वेष रखता है वह खुद को नष्ट कर लेता है. दूसरों से ईर्ष्या या द्वेष रखने से स्वयं के धन की हानि होती है. राजा से द्वेष रखने से व्यक्ति खुद को बर्बाद करता है और ब्राह्यणों से द्वेष रखने से कुल का नाश होता है. चाणक्य कहते हैं जो बिना किसी स्वार्थ निष्पक्ष भाव से बोले वह आप्त है. आत्मा की आवाज और आप्त वाक्य एक ही बात है. शास्त्रों के अनुसार, इंसान अपना सबसे बड़ा मित्र और दुश्मन है. इसी तरह से आप्त यानी विद्वानों से द्वेष रखने वाला व्यक्ति भी बर्बाद हो जाता है.
दरअसल, आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन के कई पहलुओं का वर्णन किया है. चाणक्य की इन नीतियों को अपनाकर जीवन को सरल बनाया जा सकता है. महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और शिक्षाविद चाणक्य ने अपनी नीतियों के बल पर ही चंद्रगुप्त मौर्य को मौर्य वंश का राजा बनाया था. चाणक्य की नीतियों को अपनाना भले ही कठिन माना जाता है, लेकिन कहा जाता हैं कि जिसने भी आचार्य चाणक्य की नीति को अपना लिया उसे चंद्रगुप्त की तरह सफल और कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है.
Source : News Nation Bureau