Sawan Amavasya 2024 Date: कब है सावन अमावस्या, जानें पितरों को श्रद्धांजलि देने का समय और सही तरीका

सावन अमावस्या 2024 को श्रावण अमावस्या के नाम से जाना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित है और इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है.

इस दिन पितरों का तर्पण करना, पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.

पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है, जिसमें जल और तिल चढ़ाकर उन्हें तृप्त किया जाता है.

तर्पण करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और वे अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाते हैं.

तर्पण करने की विधि में स्नान करके शुद्ध होना, तांबे के लोटे में गंगाजल, तिल, कुश, दूध, दही, घी, शहद, फल, और मिठाई रखना शामिल है.

तर्पण के दौरान पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना, पितरों का नाम लेकर जल छिड़कना और प्रार्थना करना शामिल है.

तर्पण के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान करना शुभ माना जाता है.

श्रावण अमावस्या पर तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति आती है.

इस दिन सात्विक भोजन करना, जैसे कि फल, सब्जियां, दही और दूध का सेवन करना, और हिंसा से दूर रहना महत्वपूर्ण होता है.

तर्पण के बाद घर को गंगाजल से शुद्ध करना और व्रत रखना भी शुभ माना जाता है.