अगर सही रणनीति के साथ तैयारी की जाए तो संघ लोक सेवा आयोग की IAS परीक्षा भी फतह की जा सकती है. यह साबित कर दिखाया है प्रयागराज के जार्जटाउन की रहने वाली अंशुल सिंह ने. पहले प्रयास में प्री भी नहीं निकला था और पांचवें प्रयास में UPSC में 435वीं रैंक हासिल कर अपनी मेधा का लोहा मनवाया है. अंशुल सिंह प्रयागराज के जार्जटाउन मोहल्ले की रहने वाली हैं. उनके पिता कपिल देव सिंह आगरा मंडल में RTO के पद पर तैनात हैं. मां सरोज सिंह हाउस वाइफ हैं. बड़ी बहन भूमिका सिंह एमडी रेडयोलॉजी हैं.
आईएएस में चयनित अभ्यर्थी अंशुल सिंह ने बिशप जानसन स्कूल एंड कॉलेज, पत्थर गिरिजाघर से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है. इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्नातक किया है. उन्होंने भूगोल विषय से एमए किया है. इसी विषय से उन्होंने एमए फाइनल ईयर में 2017 में पहली बार संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी थी.
अंशुल सिंह ने बताया कि एमए करने के दौरान उन्होंने 2017 में पहली बार संघ लोक सेवा आयोग की आईएएस परीक्षा दी थी. पहली बार में उनकी तैयारी प्रॉपर ना हो पाने के कारण प्री भी नहीं निकल पाया था. इसके बाद 2018 की परीक्षा में भी उन्हें निराशा हाथ लगी.
मन में नेगेटिव थॉट्स तो आते थे लेकिन अपने ऊपर पूरा भरोसा होने और लगातार मेहनत के कारण 2019 की यूपीएससी की परीक्षा में अंशुल सिंह इंटरव्यू तक पहुंचीं. हालांकि, भूगोल का पेपर अच्छा ना हो पाने के कारण उनका अंतिम सिलेक्शन 15 अंकों से रह गया. सफलता के इतना करीब पहुंचने के बाद जब सिलेक्शन नहीं हुआ तो थोड़ी निराश हुई. 2020 की परीक्षा पूरी तैयारी के साथ फिर दिया लेकिन प्रारंभिक परीक्षा में फिर लटक गईं. अंशुल को लगा कि प्रारंभिक परीक्षा पास करना ही सबसे बड़ी बाधा है. 2021 की यूपीएससी की परीक्षा में पूरा जोर लगा दिया और अंतिम परिणाम में जगह बनाकर ही मानीं.
इस बीच अंशुल सिंह ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भी अपनी किस्मत आजमाई. 2018 बैच की पीसीएस परीक्षा में उनका चयन कमर्शियल टैक्स अफसर के पद पर हो गया. वर्तमान में वह कमर्शियल टैक्स ऑफिसर, हाईकोर्ट वर्क्स प्रयागराज में पोस्टेड हैं. जुलाई 2021 में उन्होंने इस पद पर ज्वाइन कर लिया था. नौकरी करते करते उन्होंने आईएएस की तैयारी की और 435वीं रैंक हासिल करने में सफल रहीं.
अंशुल ने बताया कि हमने अपनी नौकरी के अलावा जब भी समय मिला सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई की. सोशल मीडिया व फोन से केवल इतना ही संपर्क रखा जितना जरूरी था. जितना पढ़ा सलेक्टेड पढ़ा और लगातार पढ़ाई की. हमने पढ़ाई के घंटों पर न ध्यान देकर क्वालिटी टाइम पढ़ाई को दिया. इस दौरान मेरी मां और मेरे पिता का भी समय समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा. मेरे पिता चूंकि खुद एक प्रशासनिक अफसर हैं इसलिए उनका पूरा सहयोग व मार्गदर्शन मिला.
Source : News Nation Bureau