भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 (chandrayan 2) मिशन की पहली तस्वीर दुनिया के सामने जारी कर दी है. भारत के दूसरे चंद्रमिशन चंद्रयान-2 को 9 और 16 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा. यह अभियान इसलिए भी ख़ास बन गया है क्योंकि यह पहला ऐसा अंतरग्रहीय मिशन होगा जिसकी कमान दो महिलाओं के हाथ में है. रितू करिधल इसकी चंद्रयान-2 (chandrayan 2) मिशन डायरेक्टर और एम. वनीता प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं.रितू करिधल- चंद्रयान 2 की मिशन डायरेक्टर रितू करिधल को 'रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया' भी कहा जाता है. वह मार्स ऑर्बिटर मिशन में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर भी रह चुकी हैं. करिधल के पास एरोस्पेस में इंजीनियरिंग डिग्री है. वह लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हैं.साल 2007 में उन्हें पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से इसरो यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है.
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रितू करिधल क़रीब 20-21 सालों में इसरो में कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुकी हैं. इनमें मार्स ऑर्बिटर मिशन बहुत महत्वपूर्ण रहा है.प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम. वनिता- एम. वनिता चंद्रयान 2 में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रही हैं. वनीता के पास डिज़ाइन इंजीनियर का प्रशिक्षण है और एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया से 2006 में बेस्ट वुमन साइंटिस्ट का अवॉर्ड मिल चुका है. वो बहुत सालों से सेटेलाइट पर काम करती आई हैं.
इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने चंद्रयान 2 की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था- ''हम महिलाओं और पुरुषों में कोई अंतर नहीं करते. इसरो में क़रीब 30 प्रतिशत महिलाएं काम करती हैं.'' यह पहली बार नहीं है जब इसरो में महिलाओं ने किसी बड़े अभियान में मुख्य भूमिका निभाई हो. इससे पहले मंगल मिशन में भी आठ महिलाओं की बड़ी भूमिका रही थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा जताया था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को लाल किले से ऐलान किया था कि 2022 तक या उससे पहले यानी आज़ादी के 75वें साल में भारत के नागरिक हाथ में झंडा लेकर अंतरिक्ष में जाएगें और भारत मानव को अंतरिक्ष तक ले जाने वाला देश बन जाएगा.
इसरो की नजर सूरज तक
इसरो के चेयरमैन डॉक्टर सिवन के मुताबिक, 'इसरो की नजर अब सूरज तक है. इसरो इसके लिए एक मिशन ला रहा है. इस मिशन में सूरज के लिबरेशन पॉइंट 1 पर एक सैटलाइट भेजने की योजना है.' भारत की अंतरिक्ष में भविष्य की योजनाओं पर डॉक्टर सिवन ने कहा कि भारत की नजर अंतरिक्ष ताकत बनने पर भी है.
भविष्य में मिशन वीनस का लक्ष्य
भविष्य की योजनाओं पर इसरो चेयरमैन ने कहा- 'मिशन गगनयान दिसंबर 2021 तक पूरा होगा. इस मिशन में इसरो पहली बार भारत में बने रॉकेट को स्पेस में भेजेगा. इसकी बेसिक ट्रेनिंग भारत में होगी, लेकिन अडवांस ट्रेनिंग विदेश में होगी.
इस मिशन का बजट 10,000 करोड़ तक का है. भविष्य में हमारी योजना मिशन वीनस 2023 के लिए है.पिछले कुछ वक्त में ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या वैश्विक स्तर पर विकराल हुई है.इसरो ग्लोबल वॉर्मिंग की चुनौती से निपटने के लिए भी खास मिशन पर काम कर रहा है.'
Source : SHANKRESH K